MP Water Crisis: मध्य प्रदेश में भीषण गर्मी के बीच पेयजल का संकट गहरा गया है. लोग मटमैले पानी से प्यास बुझाने को मजबूर हैं. गंदा पानी पीने के कारण ग्रामीण बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. बुंदेलखंड के छतरपुर में युवाओं को दुल्हन ढूंढना मुश्किल हो गया है. महरखुवा गांव में पानी की समस्या के कारण पिता बेटी की शादी नहीं करना चाहता. अविवाहित युवाओं की फौज खड़ी हो गई है. गांव के करीब 60 प्रतिशत युवा अविवाहित हैं.


ग्रामीण झिरियां का मटमेला पानी पीने के लिए विवश हैं. गंदा पानी पीने की वजह से ग्रामीण बीमारियों का भी शिकार हो रहे हैं. सीहोर के आदिवासी और अनुसूचित जाति बाहुल्य गांव की आबादी 700 है. गांव में पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से ग्रामीणों को दो किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है. अशोककर-गुना जिले के कई गांवों में प्यास बुझाने का दावा धरातल पर नहीं उतरा है. तीन साल पहले शुरू हुए काम के बाद अभी तक गांव में पानी नहीं पहुंचा है. योजना के तहत राजघाट डैम का पानी पाइप लाइन से अशोकनगर और गुना तक लाने की प्लानिंग है. 


दिन में मजदूरी, रात में पानी भरने की मजबूरी


अशोकनगर के खिरका टांका में पानी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है. ग्रामीण मजदूरी छोड़कर पानी का इंतजाम करने को मजबूर हैं. शाम को मजदूरी से लौटने के बाद रात-रात भर जगकर पानी का इंतजाम करना पड़ता है. सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह ने बताया कि जल संकट की लगातार ग्रामीण इलाकों से शिकायत मिल रही है कलमखेड़ा गांव से शिकायत मिलने पर उन्होंने जल्द जल संकट दूर करने का आश्वासन दिया. बता दें कि मध्य प्रदेश में गर्मी से जनजीवन अस्त व्यस्त है. तापमान ऊंचाइयों के रिकॉर्ड बना रहा है. चिलचिलाती धूप और गर्म हवाओं के थपेड़ों से दोपहर के समय सड़कें वीरान हो जाती है.


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