सावन के महीने में फूलों की मांग बढ़ जाती है. त्यौहारी सीजन में शहर में एक बार फिर फूलों के कारोबार ने रफ्तार पकड़ ली है. गेंदा का फूल वैसे तो पीले और नारंगी दो रंगों में आता है लेकिन पीले फूलों का इस्तेमाल ज़्यादा होता है. कोई पूजा-पाठ हो, शादी या त्योहार गेंदे के फूल का इस्तेमाल लगभग हर जगह होता है. सजावटी फूलों में तो इसकी मांग सबसे ज़्यादा रहती है.


बारिश की वजह से फूलों की पैदावार पर प्रतिकूल असर


लगातार चल रही बारिश की वजह से फूलों की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. सावन शुरू होते ही गेंदा, गुलाब फूलों की पहली बहार शुरू हो जाती है, मंदिरों को सजाने के लिए जबरदस्त बुकिंग होती है. गेंदा, कमल, गुलाब के साथ-साथ कृत्रिम फूलों जैसे स्थानीय फूलों की मांग शामिल है. लेकिन इस बार मंडी में फूलों की आवक कम हो रही है जिससे दाम में ढाई गुना से बढ़ोतरी हुई है.


इंदौर में चोइथराम फूल मंडी में 80 से 100 व्यापारी फूलों का कारोबार करते हैं और यहां से राज्य के कई जिलों में फूल भेजे जाते है. इस बार बारिश में देरी और लगातार चल रही बारिश के कारण गेंदा और गुलाब की फसल 2 से 3 सप्ताह की देरी से आना शुरू होगी.


सीजन के समय देश के प्रमुख शहरों से फूलों की आवक होती है. अगर मौसम साफ रहता है तो फूलों की पैदावार बंपर आएगी.  सावन के महीने में फूलों की मांग बढ़ जाती है. ऐसे में इस समय पैदावार हासिल कर किसान बाजार में अच्छी कीमत पर अपनी उपज को बेच सकते हैं. 


मंडी व्यापारी राजेश प्रजापति बताया क्या है हाल


मंडी व्यापारी राजेश प्रजापति ने बताया कि सावन की शुरुआत में ही गेंदा और गुलाब की पहली बहार भी शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार मौसम फूलों के अनुकूल नहीं रहा. इंदौर मंडी में इस मौसम में औसत 10 हजार किलो गेंदे की आवक होती है, लेकिन अभी 6 हजार किलो ही आवक हो रही है. सावन की शुरुआत में गेंदे का फूल 30 रु. प्रतिकिलो बिकता है. माल कम आने के कारण 70 से 80 रु. किलो अभी बिक रहा है.


इंदौर मंडी में ऐसे ही गुलाब की 10 हजार किलो रोजाना आवक रहती है, लेकिन वर्तमान में 1500 से 2000 किलो के करीब आवक चल रही है. गुलाब भी 80 रु. प्रतिकिलो तक बिक रहा है. मौसम का मिजाज अगर ऐसा ही रहा तो फूलों की पैदावार प्रभावित रहेगी, वहीं 2 सप्ताह बाद भी फूलों की फसल बहार पर आएगी और पैदावार भी बंपर आने की उम्मीद है.


गुलाब 60 से 80 रु. किलो, गेंदा 70 से 80 रु. किलो, मोगरा 150 रु. किलो, रजनीगंधा 70 से 80 रु. किलो, अंग्रेजी फूलों में जरबरा, कारनिशन, डच और अन्य सजावटी फूलों की मांग अभी बनी हुई है, जबकि आफ सीजन चल रहा है. इनके दाम 40 से 60 रुपए प्रतिकिलो चल रहे हैं. नवरंग का सीजन समाप्ति की ओर है, इसलिए यह मंडी में नहीं आ रहा है.


इंदौर के 40 किलोमीटर आसपास मेमदी, दतोदा, मिर्जापुर, रालामंडल, नैनोद, मगरखेड़ा, शकरखेड़ी, कनाडिय़ा, बेटमा, गवला आदि गांव और इन से जुड़े क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर फूलों की खेती की जाती है और मंडी में बड़ी मात्रा में किसान यहां से फूल बेचने के लिए आते हैं. अभी आफ सीजन चल रहा हैदक्षिण भारत के राज्यों से भी इंदौर में फूलों की आवक होती है. दिल्ली और महाराष्ट्र से इंदौर में फूलों की आवक समय-समय पर होती है. 


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