Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में सर्दी अपने पूरे शबाब पर है. सर्दी के तीखे तेवरों से जन-जीवन के साथ ही पशु-पक्षी और फसलों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. प्रदेश भर में गुरुवार (11 जनवरी) को भी घना कोहरा रहा. तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. प्रदेश के 12 शहरों में अधिकतम तापमान 20 डिग्री से नीचे रहा. बदलते मौसम को देख कृषि वैज्ञानिकों ने पाले की संभावना जताई है. साथ ही कृषि वैज्ञानिकों ने पाले से बचाव के उपाय भी बताए हैं. 


पाला के पूर्वानुमान की जानकारी देते हुए उप संचालक कृषि केके पांडे ने बताया कि जिस दिन आसमान पूरी तरह से साफ हो, हवा में नमी की अधिकता हो, कड़ाके की सर्दी हो, शाम के समय हवा में तापमान ज्यादा कम हो और जमीन का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या इससे कम हो जाए, तो ऐसी स्थिति में हवा में मौजूद नमी भाप बनकर ठोस अवस्था में (बर्फ) परिवर्तित हो जाता है. इसके साथ ही पौधों की पत्तियों में मौजूद पानी संघनित होकर बर्फ के कण के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं, जिससे पत्तियों की कोशिका भित्ती क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे पौधे की जीवन प्रक्रिया के साथ-साथ उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है. 


जानें पाला से बचाव के उपाय
ऐसी स्थिति में किसान सावधानी अपनाकर फसलों को बचा सकते हैं. पाले की संभावना होने पर खेत की हल्की सिंचाई कर देना चाहिए. इससे मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है और नुकसान की मात्रा कम हो जाती है. सिंचाई बहुत ज्यादा नहीं करनी चाहिए, सिर्फ इतनी सिंचाई हो कि खेत गीला हो जाए. वहीं रस्सी का उपयोग भी पाले से काफी सुरक्षा प्रदान करता है. इसके लिए दो व्यक्ति सुबह-सुबह एक रस्सी को उसके दोनों सिरों से पकड़ कर खेत के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक फसल को हिलाते चलते हैं. इससे फसल पर रात का जमा पानी गिर जाता है और फसल की पाले से सुरक्षा हो जाती है. 


ऐसे करें पाला नियंत्रण
वैज्ञानिकों द्वारा रसायनों का उपयोग करके भी पाले को नियंत्रित किया जा सकता है. घुलनशील सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत का घोल सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत और बोरान 0.1 प्रतिशत घोल और गंधक के एक लीटर तेजाब को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कने से लगभग दो सप्ताह तक फसल पाले के प्रकोप से मुक्त रहती है.



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