MP News: 'विधिवत करना है पति का अंतिम संस्कार,' शव को कब्र से निकालने की फरियाद ले कलेक्टर के पास पहुंची महिला, जानें क्या है मामला
Indore News: इंदौर में कलेक्टर जन सुनवाई में रविस्ता नामक एक महिला कलेक्टर इलैया राजा टी के सामने पहुंची और पुलिस द्वारा लावारिस समझकर दफनाए गए अपने मृत पति का शव कब्र से बाहर निकालने की मांग की.
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore) में कलेक्टर जनसुनवाई में एक अनूठा मामला समाने आया है. कलेक्टर इलैया राजा टी के सामने पहुंची एक महिला ने सड़क दुर्घटना में मृत हुए पति का कंकाल शमशान से निकालने के लिए आवेदन दिया है. दरअसल पुलिस ने उक्त व्यक्ति की लाश को लावारिस समझ तीन साल पहले शमशान के पास दफनाया था. अब आवेदन के बाद अफसर नियम कानून खंगाल रहे हैं.
सितंबर 2021 में नेमावर रोड पर हुई दुर्घटना में राजा सोलंकी नाम के व्यक्ति की मौत हो गई थी. पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के बाद कुछ दिन इंतजार किया, जब कोई शव लेने नहीं आया तो उसे लावारिस मानकर दफना दिया. अब तीन साल बाद मृतक की पत्नी, पति का कंकाल निकालने का आवेदन लेकर कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंची है. इस तरह का जटिल मामला आने के बाद अधिकारी भी नियम कानून खंगालने में लगे हैं.
क्या है पूरा मामला?
मंगलवार यानी 19 दिसंबर को कलेक्टर जनसुनवाई में रविस्ता नामक महिला कलेक्टर के सामने पहुंची और अपने मृत पति का शव कब्र से बाहर निकालने की मांग करने लगी. दरअसल रविस्ता के पति राजा सोलंकी की मौत 2021 में सड़क दुर्घटना में हो गई थी. खुडेल पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराकर कुछ दिन इंतजार करने के बाद लावारिस समझ कर उसे दफना दिया. 15 दिन बाद जब परिजन थाने पहुंचे तो पुलिस ने नियमों का हवाला देते हुए शव जमीन से निकालने से इनकार कर दिया था.
क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन?
वहीं अब फिर जमीन से कंकाल निकालने का आवेदन देखकर कलेक्टर भी असमंजस में पड़ गए हैं. उन्होंने एडीएम को नियम खंगालने के निर्देश दिए. एडीएम ने भी तुरंत दंड प्रक्रिया संहिता में नियम या प्रावधान खंगाले. महिला के अनुसार वह अपने पति का विधिवत क्रिया कर्म करना चाहती है. इसीलिए उन्होंने दफन किए गए शव को बाहर निकालने के लिए आवेदन दिया है. इस संबंध में कलेक्टर से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि नियमों को देखने के बाद ही कुछ निर्णय लिया जा सकेगा. वहीं एडीएम ने जो नियम देखे हैं उसके मुताबिक इसमें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन स्पष्ट है कि दफनाए हुए शव को लेकर जब तक कोई जांच न हो तब तक नहीं निकाल सकते हैं.