MP News: मध्य प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा देवउठनी एकादशी के बाद होने वाले विवाह समारोह पर नजर रखी जाएगी. खास तौर पर सामूहिक विवाह समारोह में बाल विवाह रोकने के लिए अभी से समितियां का गठन शुरू हो चुका है. मध्य प्रदेश के कई जिलों में महिला एवं बाल विकास विभाग ने समिति बना दी है.


देव उठानी एकादशी के बाद लगातार विवाह का दौर जारी रहता है. इस दौरान बाल विवाह की शिकायतें भी जिला प्रशासन के पास पहुंचती है. मध्य प्रदेश में बाल विवाह रोकने के लिए तहसील स्तर तक निगरानी समिति और कोर ग्रुप का गठन किया जा रहा है, जिसमें अनुविभाग्य अधिकारी (अध्यक्ष), जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, तहसीलदार, परियोजना अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, खंड चिकित्सा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, थाना प्रभारी आदि को समिति में सदस्य बनाया जा रहा है, ताकि किसी भी प्रकार से बाल विवाह संपन्न नहीं हो सके.


जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के मुताबिक समितियां का गठन कर दिया गया है और इसका प्रचार प्रसार भी किया जा चुका है. बालिकाओं की उम्र 18 वर्ष से कम और बालक की उम्र 21 वर्ष से कम होने पर विवाह रोककर कार्रवाई की जाएगी.


इन स्थानों पर की जा सकेगी शिकायत


उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में यदि कोई नियम का उल्लंघन करता है तो परियोजना अधिकारी कार्यालय, संबंधित थाना क्षेत्र, चाइल्डलाइन 1098, अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय आदि स्थान पर शिकायत की जा सकती है. 


इस शर्त पर मिलेगी विवाह समारोह की अनुमति


देवास कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने बताया कि विवाह समारोह को लेकर समितियां द्वारा अनुमति मांगी जाती ह.  जिला प्रशासन द्वारा इसी शर्त पर अनुमति दी जाएगी कि सामूहिक विवाह समारोह में वर की उम्र 21 वर्ष और वधू की उम्र 18 वर्ष से कम ना हो. 


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