(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
MPPSC 2023 एग्जाम में पूछा गया गलत सवाल, हाई कोर्ट का आदेश- दोबारा जारी हो मेरिट लिस्ट
MPPSC 2023: हाई कोर्ट ने अपने आदेश में राज्य वन सेवा की मुख्य परीक्षा के लिए नई मेरिट लिस्ट जारी करने के निर्देश दिए हैं. इन उम्मीदवारों का रिजल्ट अब हाई कोर्ट के फैसले के आधार पर तैयार किया जाएगा.
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MP Public Service Commission) ने राज्य सेवा-2023 की प्रारंभिक परीक्षा में बड़ी गलती की है. इस मामले में छात्रों की याचिका पर एमपी हाई कोर्ट ने परीक्षा में पूछे गए विवादित प्रश्नों के मामले में बड़ा फैसला दिया है. हाई कोर्ट ने प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़े एक प्रश्न को गलत मानते हुए उसे डिलीट करने के निर्देश दिए है. वहीं एक अन्य प्रश्न (कबड्डी संघ का मुख्यालय) के विषय में पीएससी द्वारा दिए गए उत्तर 'दिल्ली' को गलत माना है. कोर्ट ने इसके उत्तर 'जयपुर' को सही करार दिया है.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि डिलीट किए गए प्रश्न के अंक सभी याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों को दिए जाएंगे. वहीं दूसरे प्रश्न का उत्तर जिन्होंने 'जयपुर' दिया है, उन्हें उसके अंक मिलेंगे. हालांकि, याचिकाकर्ता छात्रों को कोर्ट ने इसके पहले सिविल सेवा की 11 मार्च को आयोजित मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी थी. इन उम्मीदवारों का रिजल्ट अब हाई कोर्ट के इस फैसले के आधार पर तैयार किया जाएगा.
क्या है हाई कोर्ट का आदेश?
हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने अपने आदेश में राज्य वन सेवा की मुख्य परीक्षा के लिए नई मेरिट लिस्ट जारी करने के निर्देश दिए हैं. यह परीक्षा 30 जून से होनी है. यहां बता दें राज्य वन सेवा की मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों को पीएससी प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने बताया कि पीएससी-प्री परीक्षा में पूछे गए सवालों में से कुछ प्रश्न ऐसे हैं, जिन पर आपत्ति पेश की गई थी. इसे लेकर छात्रों की ओर से 19 याचिकाएं मुख्यपीठ में दायर की गई थीं.
भोपाल के अभ्यर्थी आनंद यादव ने राज्य सेवा परीक्षा, 2023 के प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए तीन विवादित प्रश्नों को चुनौती दी थी. फ्रीडम ऑफ प्रेस से जुड़ा सवाल, ग्रीन मफलर किस प्रदूषण से संबंधित है और एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन के हेडक्वार्टर से जुड़े सवालों पर आपत्ति पेश की गई थी. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कहा था कि चूंकि यह जनहित याचिका नहीं है, इसलिए उन्हीं उम्मीदवारों के प्रकरणों पर विचार किया जाएगा, जिन्होंने आपत्ति पेश करते हुए याचिका दायर की है. अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आशीष मिश्रा, एमके मिश्रा, संजयराम ताम्रकार और अन्य ने पैरवी की.