MSP Politics in MP: मध्यप्रदेश में अभी गेहूं की बोवनी भी शुरू नहीं हुई है लेकिन राजनीतिक फसल काटने का खेल चालू हो गया है. प्रदेश के दो दिग्गज नेताओं के बीच एमएसपी पॉलिटिक्स चल रही है. गेहूं के समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. कमलनाथ ने आरोप लगाया है कि यूपीए के शासनकाल में गेहूं की एमएसपी 122 प्रतिशत बढ़ाई गई थी जबकि मोदी राज में सिर्फ 55 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.


मध्यप्रदेश में MSP की सियासत


मुरैना में शुक्रवार को कृषि मेला और प्रदर्शनी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चिरपरिचित अंदाज में वाहवाही लूटते हुए किसानों के हित में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कामों को गिनाया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का हम अभिनंदन करते हैं. इस वर्ष गेहूं 2,125 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर खरीदा जायेगा. वहीं, आज शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एमएसपी के मुद्दे पर पलटवार किया.


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UPA-NDA सरकार की तुलना


उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 के मध्य गेहूं का समर्थन मूल्य 630 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1400 रुपए प्रति क्विंटल किया गया यानी 122 फीसद की वृद्धि हुई. जबकि 2014 से 2022 के मध्य 1400 रुपए से 2125 रुपए अर्थात केवल 51 फीसद बढ़ा. उन्होंने आरोप लगाया कि ये किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करने वाली बीजेपी सरकार हैं, जिसने किसान फसल कर्ज माफी योजना भी प्रदेश में बंद कर दी है.


बता दें कि केंद्र सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की है. पिछले दिनों आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दी थी. पीआईबी की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक गेहूं के समर्थन मूल्य में पिछले साल के मुकाबले इस साल 110 रुपए की वृद्धि की गई है. गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 2,015 से बढ़ाकर 2023-24 के लिए 2,125 रुपए किया गया है.