Ujjain News: नागपुर से अपनी कंपनी संचालित करने वाले मुंबई के ठेकेदारों ने मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) को 23 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया है. इस मामले में उज्जैन के नीलगंगा थाने में कंपनी के दो प्रबंधकों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज हुई है.
आरोपियों को पकड़ने के लिए उज्जैन पुलिस (Ujjain Police) महाराष्ट्र जाएगी. नीलगंगा थाना प्रभारी तरुण कुरील ने बताया कि एमपीआरडीसी के माध्यम से 15 साल के लिए नागपुर की टापवर्थ इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड ने उज्जैन-जावरा टोल का ठेका लिया था. सरकार ने कंपनी के सामने कई शर्तें रखी थी. इसका उल्लंघन करते हुए कंपनी के डायरेक्टर सुरेंद्र लोढ़ा और दीपक कटकवार ने 23 करोड़ की धोखाधड़ी की.
नागपुर से चलाते थे कंपनी
थाना प्रभारी ने आगे बताया कि, इसमें एमपीआरडीसी के अधिकारी दीपक शर्मा की रिपोर्ट पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. जांच अधिकारी तरुण कुरील ने बताया कि दोनों आरोपी मुंबई के रहने वाले हैं और नागपुर से अपनी कंपनी संचालित करते थे. उन्होंने नियम विरुद्ध रुपयों का ट्रांजैक्शन करते हुए सरकार को चूना लगा दिया. इसके बाद कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया. आरोपियों ने साल 2018 से 2020 के बीच धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम दिया. उन्होंने बताया कि अभी जांच के बाद और भी मामलों का खुलासा हो सकता है.
ऐसे लगाया करोड़ों का चूना
पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने बताया कि एमपीआरडीसी जब किसी मार्ग का ठेका देती है तो कंपनी और एमपीआरडीसी का एक संयुक्त रूप से बैंक में खाता खोला जाता है. इस खाते से दोनों की सहमति के बिना ट्रांजैक्शन नहीं होता है. साल 2018 से 2020 के बीच में एमपीआरडीसी की अनुमति के बिना 23 करोड से ज्यादा का ट्रांजैक्शन किया गया. यह राशि सड़क की मरम्मत में खर्च होना थी लेकिन इसका उपयोग आरोपियों ने कहीं और कर लिया. इसी के चलते उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला बनाया गया है.
एमपीआरडीसी ने कब्जे में लिया टोल
नीलगंगा थाने में मुकदमा दर्ज करवाने के बाद एमपीआरडीसी ने टोल का संचालन अपने हाथों में ले लिया है. अधिकारियों के मुताबिक टापवर्थ इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नागपुर को डिफाल्टर घोषित कर दिया गया है. कंपनी को एमपीआईडीसी ने बार-बार राशि जमा कराने का मौका भी दिया था लेकिन डायरेक्टर ने दिवाला निकालते हुए हाथों ऊंचे कर दिए.
ये भी पढ़ें: