प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) इस बार अपना जन्मदिन मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के श्योपुर (Sheopur) के कूनो अभयारण्य (Kuno  National Park) में मनाएंगे. इस दिन वो कूनो अभयारण्य में आठ चीतों को छोड़ेंगे.ये चीते नामीबिया (Namibia) से भारत लाए जा रहे हैं. इन चीतों को नामीबिया की राजधानी विंडहॉक से 16 सिंतबर को एक विशेष विमान से भारत लाया जाएगा. इसके बाद भारत की धरती पर करीब 70 साल बाद चीते एक बार फिर नजर आएंगे.आइए हम आपको बताते हैं कि कूनो नेशनल पार्क में चीतों के रखने की क्या तैयारी है और वो कैसे उसमें रखे जाएंगे.


कितने चीते नामीबिया से लाए जा रहे हैं


नामीबिया से लाए जा रहे चीतों में पांच नर और तीन मादा हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर इस परियोजना की शुरूआत करेंगे.वो दो नर चीतों को एक बाड़े में और एक मादा चीता को दूसरे बाड़े में छोड़ेंगे. देश के अंतिम चीते की मृत्यु 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में हुई थी.इसके बाद इस प्रजाति को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित किया गया था.


नामीबिया से लाए जा रहे चीतों को बड़े स्थानों पर स्थानांतरित करने से पहले शुरू में छोटे लेकिन खुले बाड़े में रखा जाएगा.जब वे एक बार स्थानीय वातावरण के साथ अभ्यस्त हो जाएंगे तो नर चीतों को खुले वन क्षेत्रों में छोड़ दिया जाएगा. इससे पहले विशेषज्ञों पूरे हालात की समीक्षा करेंगे. वहीं मादा चीतों को बाद में मानक प्रोटोकॉल के अनुसार छोड़ा जाएगा.


अन्य मवेशियों को भी लगा टीका


ये नर चीते आमतौर पर जंगल में दो से तीन के छोटे समूह में रहते हैं.इन चीतों के लिए पांच वर्ग किलोमीटर का एक विशेष घेरा बनाया गया है.चीतों में किसी तरह का कोई संक्रमण न हो इसके लिए गांवों के अन्‍य मवेशियों का भी टीकाकरण किया गया है.


विशेषज्ञों का कहना है कि नामीबिया से लाए जा रहे चीतों को कूनो पालपुर वन्यजीव अभयारण्य में वैसा ही वातावरण मिलेगा जिसकी उनको आदत है. इस अभ्यारण्य में दो दर्जन चीतों के लिए पर्याप्त जगह है.इस पार्क में जानवरों के पीने के लिए पानी की दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि कूनो नदी पार्क से होकर ही बहती है. श्योपुर और उससे सटे जिले शिवपुरी के बीच 3,000 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र भी है. इससे चीतों को विचरण करने में आसानी भी होगी.


क्यों चुना गया है कूनो नेशनल पार्क


सरकार ने 10 जगहों की खोज के बाद कूनो पालपुर वन्यजीव अभयारण्य को इन चीतों के लिए चुना है. इसके चयन के पीछे की वजह यह रही कि जानवरों के पुर्नवासमें  मध्य प्रदेश का  रिकॉर्ड अच्छा रहा है.मध्य प्रदेश में 2009 में पन्ना में बाघों को सफलतापूर्वक बसाया गया.इसके साथ ही इस इलाके में चीतों के लिए अच्छा शिकार आधार है.वहां छोटे हिरण,चीतल और सुअर की घनी आबादी है.


कब बना था कूनो नेशनल पार्क


कूनो पालपुर वन्यजीव अभयारण्य विंध्यांचल पर्वत श्रृंखला पर  श्योपुर और मुरैना जिले में बसा है.इसकी स्थापना 1981 में हुई थी. सरकार ने इसे 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया था.अपनी स्थापना के समय इस वन्यजीव अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 344.68 वर्ग किलोमीटर था. बाद में इसमें और इलाके जोड़े गए. अब यह करीब 900 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस अभ्यारण्य में भारतीय भेड़िया,बंदर, भारतीय तेंदुआ और नीलगाय जैसे जानवर पाए जाते हैं. 


कूनो पालपुर वन्यजीव अभयारण्य अपनी वनस्पतियों के लिए भी मशहूर है. कूनो नेशनल पार्क में पेड़ की 123 प्रजातियां और झाड़ियों की 71 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसके अलावा बेलों और विदेशी वनस्पति की 32, बांस और घास की 34 प्रजातियां इस पार्क में पाई जाती हैं. 


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