Jabalpur News: जबलपुर में नर्मदा जन्मोत्सव का उत्साह और उल्लास है. नर्मदा तटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. हर साल की तरह इस बार भी लाखों भक्तों ने नर्मदा तट पर पूजन-पाठ किया. ग्वारीघाट, जिलहरीघाट, सिद्धघाट, तिलवाराघाट, लम्हेटाघाट और पंचवटीघाट में सुबह से ही श्रद्धा की डुबकी लगाने भक्त पहुंच गए थे. ग्वारीघाट में भक्तों ने मां नर्मदा को 1100 फीट की चुनरी भी अर्पित की. नर्मदा तट के प्रमुख पुरोहित ओंकार प्रसाद दुबे ने बताया कि सनातन धर्म में नर्मदा जयंती का विशेष महत्व माना जाता है.


नर्मदा तटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब


मोक्ष दायनी मां नर्मदा के दर्शन मात्र से ही पुण्य फल की प्राप्ति होती है. ग्वारीघाट पहुंचे श्रद्धालुओं की आस्था मां नर्मदा के प्रति देखते ही बनी. नर्मदा जयंती के अवसर पर महाआरती और 56 भोग का महाप्रसाद भी बांटा जाएगा. मां नर्मदा जन्मोत्सव पर शहर में धूमधाम है. जगह-जगह पूजन और भंडारे का आयोजन हो रहा है. सड़कों पर जाम से निपटने की यातायात पुलिस ने खास तैयारी की है. इस बार प्लानिंग के साथ ट्रैफिक व्यवस्था की गई है. ग्वारीघाट पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को तिलहरी की तरफ से वापस लौटना पड़ेगा. किसी भी प्रकार के लोडिंग या भारी वाहन रामपुर के आगे नहीं जा सकेंगे. मेट्रो बस को गणेश मंदिर तक जाने की अनुमति होगी. दूसरी तरफ रेतनाका तक ऑटो को प्रवेश मिलेगा.




जानें यातायात पुलिस की कैसी है तैयारी?


दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों की पार्किग आयुर्वेदिक संस्थान स्थित दशहरा मैदान और गीताधाम के सामने मैदान में होगी. बता दें कि नर्मदा भारत की पांच बड़ी नदियों में से एक हैं. धार्मिक मान्यता है कि नर्मदा जयंती के दिन नदी में डुबकी लगाने और पूजन करने से शांति और समृद्धि का आगमन होता है. विष्णु पुराण में कहा गया है कि नाग राजाओं ने मिलकर वरदान दिया था कि सच्चिदानंदमयी, आनंदमयी और कल्याणमयी नर्मदा नदी में स्नान और स्मरण करनेवाले के तमाम पाप कर्म नष्ट हो जाएंगे. उसके तमाम रोग खत्म हो जाएंगे. मां गंगा की तरह ही मां नर्मदा भी मोक्षदायिनी हैं. कहा जाता है कि गंगा में स्नान के पुण्य की तरह नर्मदा का दर्शन मात्र से पुण्य मिलता है.




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