Narsinghpur News: नरसिंहपुर में सांकल रोड की रहने वाली पूना बाई नामी महिला के परिजन एसपी ऑफिस का चक्कर काटने को मजबूर हैं. उनका दावा है कि मासूम 6 साल की बेटी को छोटू ठाकुर नाम के व्यक्ति ने अपनी बेटी बताकर पुलिस में शिकायत की और पुलिस ने बाल कल्याण समिति के माध्यम से बच्ची को शिशु गृह में भेज दिया. अब पूरा परिवार बच्ची की वापसी के लिए एसपी ऑफिस का चक्कर काट रहा है.
दो दावेदारों के बीच में फंसी बच्ची का असली वारिस कौन?
दावा है कि उन्होंने छोटू नामक व्यक्ति को अपनी बच्ची का इलाज के लिए सौंपा था. पिछले 4 साल से बच्ची उसके पास थी और इलाज के लिए उसे पैसे भी देते रहे. लेकिन अब छोटू उसे अपनी बेटी बताने लगा है. हालांकि पूना बाई का कहना है कि उसकी बेटी के जन्म प्रमाण पत्र से लेकर आधार कार्ड और लाडली लक्ष्मी योजना का कार्ड तक सबूत के तौर पर है, लेकिन पुलिस उन्हें मान नहीं रही है. इस पूरे मामले में छोटू ठाकुर के पिता का कहना है कि बच्ची छोटू की संतान है. छोटू की पत्नी की मौत के बाद जन्म से ही छोटू ने पाला पोसा है. बच्ची पर हक जताने वाली महिला झूठ बोल रही है. पिता अपने बेटे और उसकी बेटी का डीएनए टेस्ट तक करवाने के लिए तैयार हैं.
अजीबोगरीब मामले में बाल कल्याण समिति भी बेहद परेशान है. एक ओर जहां पक्षकार महिला बच्ची के दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत कर दावा जता रही है. वहीं अन्य लोगों ने बच्ची को छोटू ठाकुर की बेटी बताया है. इसके लिए पूरा मोहल्ला गवाही देने को तैयार है. ऐसे हाल में फिलहाल बच्ची को शिशु गृह में पालन पोषण के लिए भेजा गया है. मामले की जांच की जा रही है. बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष के मुताबिक अगर दोनों पक्ष अपना दावा साबित नहीं कर सके तो आखिरी विकल्प के रूप में डीएनए टेस्ट ही सच साबित करने का एकमात्र उपाय होगा.
छोटू ठाकुर की शिकायत पर हालांकि पुलिस ने बच्ची को बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया जहां से बच्ची को शिशु गृह भेज दिया गया लेकिन दूसरे पक्षकार के दस्तावेजी प्रमाण पेश करने से पुलिस भी असमंजस की स्थिति में है और साक्ष्य को जुटाने में जुटी हुई है ताकि इस अनसुलझी पहेली को सुलझाया जा सके और बच्ची को उसके असली दावेदार तक पहुंचाया जा सके.
अनसुलझी पहेली को हल करना पुलिस के लिए बना चुनौती
मासूम बच्ची का असली वारिस कौन है फिलहाल यह एक अनसुलझी पहेली है और उसे हल करने के लिए डीएनए टेस्ट की बात कही जा रही है लेकिन इन सबके बीच एक मासूम बच्ची का बचपन उसका परिवार होने के बावजूद अनाथ की तरह शिशु गृह में बीत रहा है. कब उसे उसके असली हकदार माता-पिता मिलेंगे इसका उसे भी इंतजार है.
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