Salkanpur Temple News: देश भर में ख्याति प्राप्त मां सलकनपुर के मंदिर में नवरात्रि के पहले दिन सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है. अब तक हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किए हैं. मंदिर की सीढ़ियां जय माता दी के स्वर से गूंज रही है.
मान्यता है कि मंदिर का निर्माण बंजारों ने करवाया था. 450 साल पहले पशुओं का व्यापार करने वाले बंजारे यहां से गुजर रहे थे. थकान होने पर वह विश्राम के लिए यहां रुके और आराम करने के दौरान उनकी नींद लग गई थी. जब नींद खुली तो पशु नहीं थे. बंजारे अपने पशुओं को ढूंढने के लिए जंगल में यहां भटक रहे थे. इसी दौरान उन्हें एक बच्ची मिली, बच्ची ने बंजारों से जंगल में भटकने का कारण पूछा. बंजारों ने पूरी घटना बताई, जिस पर बालिका ने कहा कि आप यहां देवी के स्थान पर जाकर पूजा अर्चना करेंगे तो मनोकामना पूरी हो जाएगी.
माता ने दिया दर्शन
जिस पर बुजुर्ग ने पूछा देवी का स्थान कहां है, फिर बालिका ने एक पत्थर फेंका, जहां पत्थर गिरा वहां बंजारे पहुंचे तो माता के दर्शन हुए और कुछ ही देर बाद उन्हें पशु मिल गए. इसके बाद बंजारों ने यहां रुक कर माता का मंदिर बनवाया. धीरे-धीरे यहां श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया. आज पूरे देश भर से ही श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं.
भोपाल से 80 किमी दूर
सलकनपुर देवी धाम मंदिर राजधानी भोपाल से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. भोपाल से कोलार डैम होते हुए या भोपाल से औबेदुल्लागंज होते हुए मंदिर तक पहुंचा जाता है. यहां बच्चों का मुंडन संस्कार के साथ ही तुलादान संस्कार का भी विशेष महत्व है.
मंदिर तक पहुंचने के तीन विकल्प
मंदिर तक पहुंचने के लिए तीन विकल्प है, जिसमें सीढिय़ां, जो लगभग 1400 हैं. जबकि ट्रस्ट द्वारा यहां पहाड़ी काटकर सडक़ भी बनवा दी है. इसी तरह रोप-वे के माध्यम से भी श्रद्धालु यहां आसानी से पहुंचते हैं. रोपवे का किराया एक तरफ का प्रति व्यक्ति 80 रुपये, दोनों फेर के लिए प्रति व्यक्ति 115 रुपये, बच्चों के लिए 40 रुपये, दोनों फेर के लिए प्रति बच्चा 70 रुपये किराया है.
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