Success Story: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की आर्थिक राजधानी इंदौर को शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश का सबसे बड़ा हब कहा जाता है. इन्दौर में देश के कई नामी और प्रतिष्ठत शैक्षेणिक संस्थान आईआईटी, आईआईएम, इंजीनियरिंग कॉलेज, जी.एस.आई.टी.एस., मेडिकल कॉलेज एम.जी.एम., सरकारी कृषि कॉलेज, कई प्रमुख प्राइवेट कोचिंग संस्थान स्थापित हैं. इन शैक्षणिक संस्थानों में प्रदेश के साथ-साथ देश के कई राज्यों से हजारों होनहार छात्र-छात्राएं प्रतिवर्ष शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं. साथ ही अपनी योग्यता से प्राप्त उपलब्धियों का विजयी पताका लहराते हैं.


देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक मानी जाने वाली NEET की परीक्षा में इन्दौर की होनहार छात्रा सारिका अग्रवाल ने मध्य प्रदेश में पहली रैंक हासिल की. वहीं देश भर में ये छात्रा 29वी रैंक हासिल की. शहर की होनहार छात्रा सारिका पिछले 2 सालों से NEET की तैयारी कर रही थी. अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिदिन 8 से 10 घंटे की पढ़ाई कर उन्होंने ये मुकाम हासिल किया. सारिका के माता-पिता उनकी इस उपलब्धि से बहुत खुश हैं और अपनी बेटी की इस उपलब्धि का श्रेय उनके गुरुजनों, दोस्तों और बच्ची कि कड़ी मेहनत को दिया.


बचपन से पढ़ने में होनहार थी


सारिका की माता का कहना है कि उनकी बच्ची बचपन से ही पढ़ाई मे बहुत होनहार थी उसी का नतीजा है कि उसने प्रदेश भर मे प्रथम स्थान प्राप्त किया. उन्होंने कहा कि मां होने के नाते मैंने अपनी बच्ची का हमेशा हौसला बढ़ाया और कभी भी ऐसा कुछ करने के लिए दबाव नहीं बनाया. उन्होंने कहा कि जिसके बाद अब देश के प्रतिष्ठित कॉलेज मे पढ़ कर डॉक्टर बनने का उसका सपना पूरा होते हुए नजर आ रहा है. अपनी इस उपलब्धि पर सारिका ने बताया कि वे अपनी इस उपलब्धि से काफी खुश हैं और ये सब उनके गुरुजनों, दोस्तों और परिवार के सहयोग से हो पाया. उन्होंने अच्छे कॉलेज में एडमिशन ले कर डॉक्टर बनना की बात कही. 


माता-पिता इंजीनियर हैं


शहर की एक ऐसी ही होनहार छात्रा ने अपनी कड़ी मेहनत से राष्ट्रीय पात्रता सह परीक्षा (NEET) में प्रदेश भर में प्रथम रैंक हासिल कर अपने शहर के साथ प्रदेश का नाम देश भर मे गौरान्वित किया. छात्रा सारिका बचपन से ही डॉ. बनना चाहती थी. क्योंकि वो अपने इंजीनियर माता-पिता को दिन भर कंप्यूटर और लेपटॉप में काम करते देखती रहती थी. जबकि छात्रा सारिका उसे घूमना फिरना और लोगों से बात करना और उन्हें समझना पसंद था. यही वजह है कि वे डॉक्टर बन कर लोगो के ईलाज के साथ-साथ उनके बिच रह सकेंगी.


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