NEET 2024: बिना जानकारी के ग्रेस मार्क्स की 'सुविधा' क्यों? नीट विवाद में जीतू पटवारी का बड़ा सवाल
NEET UG 2024 Controversy: नीट यूजी का रिजल्ट आने के बाद विरोध-प्रदर्शन जारी है. कांग्रेस और बीजेपी से जुड़े छात्र संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है. अब जीतू पटवारी ने पीएम मोदी से सवाल पूछे हैं.

NEET UG 2024 Result Controversy: नीट रिजल्ट विवाद में लगातार विरोध के सुर उठ रहे हैं. छात्र संगठन सड़क पर उतरकर मामले में जांच की मांग कर रहे हैं. बीजेपी-कांग्रेस की यूथ विंग के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने ट्वीट कर नीट रिजल्ट विवाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल किए हैं.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जीतू पटवारी ने लिखा, "प्रधानमंत्री जी, डबल इंजन सरकार के नेतृत्व में प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर भर्ती परीक्षाओं तक यदि किसी प्रदेश में सबसे ज्यादा शर्मनाक दौर देखा है तो वह हमारा मध्य प्रदेश है.
नीट के माध्यम से एक बार फिर देश के लाखों बच्चों का भविष्य गंभीर असमंजस का सामना कर रहा है. बीजेपी सरकार ही इसके लिए सबसे बड़ी जिम्मेदार है. केंद्र सरकार को बताना चाहिए कि एक ही परीक्षा सेंटर पर 6 टॉपर कैसे? क्योंकि टॉपर्स की मेरिट लिस्ट में 8 छात्रों के रोल नंबर एक ही सीरीज के हैं."
नीट रिजल्ट विवाद में पीएम मोदी से पूछे सवाल
जीतू पटवारी ने लिखा कि सीरियल नंबर 62 से लेकर 69 तक कुल 8 छात्र में से 6 छात्रों ने रैंक 1 हासिल की. इन सभी को 720 में से 720 अंक मिले. इन सभी ने बहादुरगढ़ स्थित एक ही एग्जाम सेंटर पर परीक्षा दी थी. कैसे 718, 719 नंबर मिले.
यह सवाल इसलिए कि कई छात्रों को 718, 719 अंक दिए गए. एनटीए ने कहा था कि उन्हें ये अंक ग्रेस मार्क्स के तौर पर दिए गए हैं. दरअसल, नीट का पेपर 720 अंक का होता है और नीट की तैयारी कर रहा बच्चा भी जानता है कि हर सवाल के चार अंक मिलते हैं. हर गलती के एक अंक कटते हैं. अब ऐसे में यदि कोई एक सवाल छोड़ देता है तो उसे 716 अंक मिलेंगे. यदि कोई सिर्फ एक सवाल गलत करता है तो उसे 715 अंक मिलेंगे, ऐसे में 718, 719 अंक पाना असंभव है?
बिना जानकारी ग्रेस मार्क्स की सुविधा-पटवारी
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सवाल किया कि ग्रेस मार्क्स जैसी सुविधा बिना जानकारी के क्यों लागू की गई? इसलिए लाखों स्टूडेंट्स अब बिना ग्रेस मार्क्स के नीट की ओरिजिनल मेरिट लिस्ट जारी करने की मांग कर रहे हैं. मांग तो ये भी है कि जिन सेंटरों पर ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं, उनका नाम बताया जाए. पूछा तो यह भी जाना चाहिए कि ग्रेस मार्क्स पाने का आधार क्या है? कितना समय बर्बाद होने पर कितने नंबर दिए गए? समय बर्बाद होने के कथित कारण कितने असली हैं? सेंटर्स पर इसकी निगरानी करने वाले कितनी ईमानदारी से इस व्यवस्था को देख और परख रहे थे?
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