New Parliament Inauguration: नये संसद भवन के उद्घाटन पर दिग्विजय सिंह ने केंद्र से की बड़ी मांग, कहा- पीएम की 'भूल'...
New Parliament Building: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नये भवन का उद्घाटन करेंगे. अब तक 21 विपक्षी दलों ने कहा है कि वे इस उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होंगे.
Parliament Building Inauguration: नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर सीधा हमला गुरुवार को भी जारी रखा. उन्होंने कहा कि मोदी की ‘‘बहुत बड़ी भूल’’ सुधारकर इस इमारत का उद्घाटन संविधान के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रपति के हाथों कराया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री 28 मई को संसद के नये भवन का उद्घाटन करेंगे. अब तक 21 विपक्षी दलों ने कहा है कि वे इस उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होंगे.
दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले, सिंह ने इंदौर के हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा,‘‘हम सेंट्रल विस्टा परियोजना का विरोध नहीं कर रहे हैं. देश में पहली बार कोई आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी हैं. उन्हें नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में नहीं बुलाना राष्ट्रपति पद का अपमान है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 79 में प्रावधान है कि संसद को लेकर कोई भी कार्यक्रम राष्ट्रपति की सहमति के बिना नहीं हो सकता.’’
उन्होंने कहा कि नये संसद भवन के उद्घाटन को लेकर फिलहाल जो भी कार्यक्रम तय किया गया है, वह प्रधानमंत्री मोदी की ‘‘बहुत बड़ी भूल’’ है और इससे संविधान के अनुच्छेद 79 का उल्लंघन होता है.
सिंह ने कहा,‘‘अब भी समय है. इस कार्यक्रम में तत्काल परिवर्तन करके 28 मई को राष्ट्रपति के हाथों नये संसद भवन का उद्घाटन कराया जाना चाहिए.’’
राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करना आदिवासी समुदाय का अपमान : दिग्विजय
इससे पहले दिग्विजय सिंह ने बुधवार को कहा था कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न केवल उनका बल्कि देश के आदिवासी समुदाय का अपमान किया है.
सिंह ने मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर में पत्रकारों से कहा था, ‘‘आदिवासी समुदाय से संबंधित राष्ट्रपति को आमंत्रित न करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनका अपमान किया है. उन्होंने न तो नए संसद भवन का शिलान्यास किया और न ही उन्हें 28 मई को इसके उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया. यह राष्ट्रपति का अपमान है और देश के आदिवासी समुदाय और उन नागरिकों का भी जो भारतीय संविधान में आस्था रखते हैं.’’