MP News: नाइट सफारी (Night safari) की चाह लेकर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) आने वाले पर्यटकों के लिए बुरी खबर है. फैसला लिया गया है कि प्रदेश के नेशनल पार्क (National Park)  यानी टाइगर रिज़र्व (Tiger Reserve) के बफर जोन में अब नाइट सफारी नहीं होगी. इससे पर्यटक रात को जंगल और जंगली जानवरों का दीदार नहीं कर सकेंगे. टाइगर रिजर्व के बफर जोन में चल रही नाइट सफारी को बंद करने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक (पीसीसीएफ) जे एस चौहान ने आदेश जारी कर दिया है.


नाइट सफारी से वन्य जीव होते हैं परेशान
 यहां बता दें कि टाइगर रिज़र्व में नाईट सफारी को लेकर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने आपत्ति जताई थी. वहीं, वन विभाग के अधिकारियों का भी मानना है कि नाइट सफारी के कारण वन्य जीव परेशान होते हैं और उनके आराम में खलल पड़ता है. हालांकि, थोड़ी राहत वाली बात यह है कि नाइट सफारी को टाइगर रिजर्व के बाहर के जंगल में जारी रखा जा सकता है. आदेश में इसका स्पष्टीकरण दिया गया है.


प्राकृतिक रोशनी के अभ्यस्त होते हैं जानवर
वाइल्ड लाइफ जानकारों का मानना है कि जंगली जानवर प्राकृतिक रोशनी में रहने के अभ्यस्त होते हैं. इसलिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व में कराई जा रही नाइट सफारी पर आपत्ति जताई थी. इसे लेकर एनटीसीए और राज्य के वन विभाग के बीच तकरार चल रही थी. एनटीसीए की आपत्ति के बाद मध्य प्रदेश के पीसीसीएफ जेएस चौहान ने राज्य सभी टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टरों को पत्र लिखकर नाइट सफारी बंद करने के निर्देश दिए हैं.


सीएम ने शुरू की थी 'बफर में सफर' योजना
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवंबर 2020 में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से 'बफर में सफर' योजना शुरू की थी. बफर में सफर का आकर्षण बढ़ाने के लिए टाइगर रिजर्व कान्हा, बाघवगढ़, पेंच, सतपुड़ा और पन्ना के बफर जोन में नाइट सफारी कराई जा रही थी. वैसे नाइट सफारी का सबसे ज्यादा क्रेज कान्हा और बाघवगढ़ टाइगर रिजर्व में था और बड़ी संख्या में यहां आने वाले पर्यटक रात के समय वन्य जीवन का आनंद उठाते थे. खासकर बच्चों को नाईट सफारी ज्यादा आकर्षित करती थी.


नाइट सफारी बंद होने से टूरिज्म इंडस्ट्री को होगा नुकसान
वहीं, वाइल्ड लाइफ टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है नाईट सफारी बन्द होने से पर्यटकों में निराशा होगी. इससे टूरिज्म इंडस्ट्री को भी नुकसान होगा. माना जाता है कि नाईट सफारी की वजह से टूरिस्ट का होटल स्टे बढ़ जाता था, जिससे इस इंडस्ट्री की बेहतर कमाई होती थी. वैसे भी यह इंडस्ट्री सिर्फ 8 माह की होती है. मानसून के चार महीने तो पार्क बन्द ही रहता है.


एमपी को मिला था टाइगर स्टेट का खिताब
यहां बता दें कि टाइगर सेंसेस 2018 के नतीजे जब जुलाई 2019 में जारी हुए, तब सर्वाधिक 526 बाघों के साथ मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का खिताब मिला था. उस समय मध्य प्रदेश के 1432 बीट में ही बाघों की मौजूदगी के निशान मिले थे. टाइगर सेंसेस 2022 के नतीजे इसी माह तक आने की संभावना है. इस प्रक्रिया के दौरान प्रदेश भर के साढ़े 8 हजार से ज्यादा वन बीट पर बाघ की मौजूदगी के निशान तलाशे गए.चार साल में बाघों की मौजूदगी वाले नए वन बीट में 426 का इजाफा दर्ज किया गया. माना जा रहा है कि प्रदेश में बाघों की संख्या सवा 6 सौ से अधिक है.


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