MP News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) ने राज्य सरकार से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission) घोटाले पर कार्रवाई कर प्रतिवेदन देने को कहा है. एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह निर्देश देते हुए फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. राज्य सरकार ने आईएएस दिव्या मराव्या द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में घोटाले की जांच करवाई थी. उनकी जांच रिपोर्ट सोमवार को जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में पेश की गई.

 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस शील नागू और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने राज्य शासन को निर्देश दिए कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन घोटाले की जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करें. कार्रवाई का प्रतिवेदन हाई कोर्ट में पेश किया जाए. जनहित याचिका पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. दरसअल,पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता भूपेंद्र कुमार प्रजापति की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने कोर्ट को बताया था कि आजीविका मिशन के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा घोटाले किए गए हैं.

 

सबसे बड़ा घोटाला बीमा राशि को लेकर किया गया था. साथ ही नियुक्ति,अगरबत्ती मशीन खरीदी, स्कूल यूनिफार्म खरीदी सहित कई अन्य घोटालों को भी अंजाम दिया है. याचिकाकर्ता के पास इसके पुख्ता सबूत हैं. इसके बावजूद सरकार की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है.

 

पूर्व मंत्री और विधायक तक उठा चुके हैं भ्रष्टाचार का मामला

याचिका में बताया गया था कि रिटायर्ड आईएफएस ललित मोहन बेलवाल समेत कई अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों पर गंभीर आरोप हैं. पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल और बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया था. इसके बावजूद सरकार ने अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. इसलिए जनहित याचिका दायर की गई.

 

दरअसल, मध्य प्रदेश में आजीविका मिशन के तहत एक बीमा कंपनी बना ली गई थी. बीमा कंपनी बनाने के लिए आईआरडीए की अनुमति लगती है. इसके लिए बकायदा लाइसेंस मिलता है.आरोप है कि आजीविका मिशन के तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन बेलवाल ने आजीविका मिशन का मूल काम छोड़कर सीबीएम आईआई (CBMII) नाम की एक बीमा योजना बना ली.

 

इस योजना में गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति और स्व सहायता समूह की गरीब महिलाओं का बीमा किया गया.