MP News: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग फर्जीवाड़ा मामले में 169 सूटेबल कॉलेजों की दोबारा सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से किया इनकार दिया है. प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है, दरअसल, 2 दर्जन नर्सिंग कॉलेजों ने एमपी हाईकोर्ट के 30 मई के दोबारा सीबीआई जांच वाले आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
हाईकोर्ट ने दिए थे जांच के आदेश
बता दे कि, एमपी हाईकोर्ट में 30 मई 2024 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल की ओर से एक आवेदन पेश किया गया था. इसमें कहा गया कि सीबीआई जांच में गड़बड़ी और रिश्वत का मामला सामने आने के बाद सूटेबल पाए गए कॉलेजों की जांच विवादित तथा संदिग्ध हो चुकी है. इस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई द्वारा सूटेबल पाए गए सभी 169 कॉलेजों की दोबारा जांच के आदेश दिए थे.
प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों की याचिका खारिज
सीबीआई टीम के साथ संबंधित जिले के न्यायिक अधिकारियों को जांच में सम्मिलित होने और वीडियोग्राफी करने के आदेश भी हाईकोर्ट ने दिए थे. इसी आदेश को प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज की याचिका को खारिज करते हुए यह सलाह दी कि वे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अपील करके अपनी बात रख सकते है.
भोपाल में रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए थे सीबीआई अफसर
दरअसल, बीते दिनों नर्सिंग कालेज फर्जीवाड़े की जांच करने वाली सीबीआई की टीम के कुछ अफसर भोपाल में रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किए गए थे. बताया गया कि इन अफसरों ने पैसे लेकर अनसुटेबल कॉलेजों को भी सूटेबल कैटेगरी में शामिल करने गड़बड़ी की है. इसके बाद इस घोटाले के व्हिसिल ब्लोअर एडवोकेट विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में आवेदन देकर फिर से जांच की मांग की थी.
कोर्ट ने दोबारा सीबीआई जांच के दिए आदेश
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एडवोकेट विशाल बघेल ने दलील दी कि भ्रष्ट अधिकारियों के कारण पूरी जांच प्रक्रिया दूषित हो गई है. इससे सूटेबल कॉलेज संदेह के घेरे में हैं. जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस ए के पालीवाल की स्पेशल बेंच ने स्पष्ट रूप से जांच के लिए गाइडलाइन जारी कर दी. कोर्ट ने निर्देश दिए है कि सभी सूटेबल कॉलेजों की सीबीआई द्वारा दोबारा जांच की जाएगी. इस जांच प्रक्रिया में संबंधित जिले के न्यायिक मजिस्ट्रेट भी मौजूद रहेंगे. पूरी जांच की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी. इसके साथ ही कोर्ट ने नर्सिंग के नए सत्र को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जिसमें मान्यता देने की अनुमति दी गई है. नए सत्र के लिए पूर्व में बनाए गए नियमों का सख्ती से पालन करते हुए छात्रों को एंट्रेंस एग्जाम के बाद प्रवेश देने के लिए कहा गया है.
कोरोना के बाद अचानक बढ़ी थी नर्सिंग कॉलेजों की संख्या
अधिवक्ता विशाल के मुताबिक कोरोना संक्रमण काल के दौरान मध्य प्रदेश में करीब 450 नर्सिंग कॉलेज संचालित थे लेकिन एक साल बाद ही नर्सिंग कॉलेजों की संख्या 750 से ज्यादा हो गई. यही वजह है कि अचानक खुले नर्सिंग कॉलेज संदेह के घेरे में आ गए. उनकी याचिका पर हाईकोर्ट के निर्देश पर जब जांच हुई तो कई कॉलेज मापदंडों के अनुसार नहीं पाए गए. कई कॉलेजों में लैब नहीं थी, तो कहीं फैकल्टी और कॉलेज परिसर की कमी थी. यहां तक की कई कॉलेज सिर्फ कागजों में ही थे.
बता दे कि, प्रदेश के 700 से ज्यादा नर्सिंग कॉलेजों में से करीब 308 कॉलेजों की प्रथम चरण में जांच की गई थी.इसमें से 169 नर्सिंग कॉलेजों को सुटेबल (Suitable), 66 कॉलेजों को अनसुटेबल (Unsuitable) और 73 कॉलेजों को डेफिसिएंट (Deficient) कैटेगरी में रखा गया. इन सभी कॉलेजों में एक लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया था.
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