जबलपुर: मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का मुद्दा गरमाता जा रहा है. हालांकि शिवराज सरकार ने सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण की सीमा 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया है. लेकिन मध्य प्रदेश हाई कोर्ट इससे संबंधित जो भी याचिका दायर होती है, उसमें आरक्षण की सीमा 14 फीसदी से ज्यादा करने पर रोक लगा देता है. अब ओबीसी महासभा ने 51 फीसद आरक्षण की मांग की है. जबलपुर में आंदोलन करते हुए ओबीसी महासभा ने कहा कि उन्हें जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का लाभ दिया जाए. 


ओबीसी महासभा के बैनर तले तमाम संगठनों ने जबलपुर के सिविक सेंटर में सोमवार को प्रदर्शन किया. महासभा के नेशनल कोऑर्डिनेटर वैभव सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या सर्वाधिक है. लेकिन उसे सिर्फ 14 फीसदी आरक्षण का लाभ ही मिल रहा है. सरकार ने 27 प्रतिशत आरक्षण का वादा तो किया है. लेकिन उसका लाभ आज तक नहीं मिला है. वैभव सिंह का कहना है कि हालांकि प्रदेश में ओबीसी की आबादी 65 फीसदी है. लेकिन सरकार इसे 51 फीसदी मान रही है. इस हिसाब से भी सरकार को पिछड़ा वर्ग को करीब 51 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए.


जातिगत जनगणना की मांग


ओबीसी महासभा ने जातिगत जनगणना की मांग भी की है. वैभव सिंह कहते हैं कि सबसे पहले महासभा ने ही यह मुद्दा उठाया ताकि पिछड़ा वर्ग की आबादी का सही आंकड़ा मिल सके. उन्होंने 2014 में व्हिसिल ब्लोवर की हैसियत से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर ओबीसी आरक्षण में पक्षपात का मुद्दा उठाया था.


हाई कोर्ट ने लगा रखी है रोक


गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं से संबंधित विभागों को छोड़कर शेष सभी सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए ओबीसी आरक्षण की सीमा पूर्व में 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था. लेकिन स्कूल शिक्षक भर्ती और मेडिकल प्रवेश के लिए जब 27 फीसद आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर हुई तो कोर्ट ने साफ कह दिया की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 14 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता.