Padma Shri 2023: मात्र 20 रुपए में इलाज करने वाले डॉ. एमसी डावर को पद्मश्री सम्मान, 1971 के जंग में दे चुके हैं सेवा
डॉक्टर डावर प्रतिदिन 200 मरीजों को देखते हैं. डॉ. डावर भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर तैनाथ थे. 1971 की भारत-पाकिस्तान की जंग के दौरान उन्होंने सैकड़ों घायल जवानों का इलाज किया था.
![Padma Shri 2023: मात्र 20 रुपए में इलाज करने वाले डॉ. एमसी डावर को पद्मश्री सम्मान, 1971 के जंग में दे चुके हैं सेवा Padma Shri 2023 Dr MC Dawar of Jabalpur honored treated patients in just Rs 20 ANN Padma Shri 2023: मात्र 20 रुपए में इलाज करने वाले डॉ. एमसी डावर को पद्मश्री सम्मान, 1971 के जंग में दे चुके हैं सेवा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/01/25/a5279f4e9abcd42a5cbbb1f0bbed01a31674667757352651_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Jabalpur News: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है. मध्य प्रदेश के जबलपुर के वयोवृद्ध मानवसेवी डॉक्टर (कैप्टन) एम सी डावर को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है. 77 वर्षीय डॉ. डावर आज भी 20 रुपए की मामूली फीस पर मरीजों का इलाज करते हैं. डॉ. डावर को पद्मश्री मिलने की खबर जैसे ही सामने आई, उन्हें बधाई देने वालों का उनके घर तांता लग गया.
26 जनवरी को सीएम शिवराज करेंगे सम्मानित
सीएम शिवराज सिंह चौहान पद्मश्री अवॉर्ड से नवाज़े जाने वाले डॉ. एम सी डावर को 26 जनवरी को सम्मानित करेंगे. गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में उत्कृष्ट मानवीय सेवा के लिए उन्हें सम्मानित किया जाएगा. ज़िला प्रशासन ने अवॉर्ड की घोषणा होते ही डॉ. डावर के सम्मान की जानकारी दी. इसके साथ ही उन्हें सीएम द्वारा सम्मानित किए जाने का निमंत्रण भी दिया.
भारत-पाक जंग के दौरान किया था सैकड़ों घायल जवानों का इलाज
बता दें कि डॉ. डावर भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर तैनात थे. 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान डॉ. एम सी डावर की पोस्टिंग बांग्लादेश में की गई. वहां डॉ. डावर ने सैकड़ों घायल जवानों का इलाज किया. जंग खत्म होने के बाद स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्होंने समय से पहले रिटायरमेंट ले लिया. इसके बाद 1972 से उन्होंने जबलपुर के मदन महल इलाके में छोटी सा क्लिनिक खोलकर अपनी प्रैक्टिस शुरू की.
जबलपुर से ली थी MBBS की डिग्री
डॉ. डावर का जन्म 1946 में आज के पाकिस्तान में हुआ था. डेढ़ साल की उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया था. परिवार के सहयोग से उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पंजाब के जालंधर से की. बाद में मध्य प्रदेश के जबलपुर से उन्होंने एमबीबीएस (MBBS) की डिग्री हासिल की. डॉ. डावर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब उन्होंने सेना में भर्ती के लिए एग्जाम दिया था, तब 533 उम्मीदवारों में से केवल 23 लोग ही चयनित हुए थे. इनमें से 9वें नंबर पर उनका नाम था.
1986 में मरीजों से लेते थे मात्र 2 रुपए फीस
10 नवंबर 1972 का दिन डॉ. डावर के लिए दिन बेहद खास दिन था. इसी दिन जबलपुर में उन्होंने अपने पहले मरीज की जांच की थी. उन्होंने बताया कि वह 1986 तक मरीजों से 2 रुपए फीस लेते थे. इसके बाद उन्होंने 3 रुपए लेना शुरू कर दिया. 1997 में 5 रुपए और फिर 15 साल बाद 2012 में फीस 10 रुपए बढ़ा दी. दो साल पहले नवंबर से उन्होंने 20 रुपए फीस लेना शुरू कर दिया.
हर रोज करते हैं 200 मरीजों का इलाज
डॉ. डावर पिछले 51 साल से हफ्ते के 6 दिन रोजाना 200 मरीजों का इलाज करते हैं. उनके पास तीन पीढ़ियों के मरीज हैं. कुछ मरीज तो किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर सालों से इन्हीं के पास आते हैं. डॉ. डावर के पास मरीज केवल जबलपुर से ही नहीं, बल्कि दूर-दराज के शहरों से भी आते हैं.
यह भी पढ़ें: Bhopal: बदमाशों की खैर नहीं, लो-फ्लोर बसों में लगेगी तस्वीर, ड्राइवर-कंडेक्टर्स को स्पेशल ट्रेनिंग
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)