Jodhaiya Bai Baiga Demise: मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के लोढ़ा गांव में रहने वाली पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित जोधइया बैगा 'अम्मा' का निधन हो गया है. इस दुखद घटना को लेकर मध्य प्रदेश के दिग्गज नेताओं ने शोक प्रकट किया है. जोधईया बैगा को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.
मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में रहने वाली अम्मा आदिवासी चित्रकला को विश्व के पटल पर पहचान दिलाने का काम किया है. साल 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें महिला शक्ति सम्मान से पुरस्कृत किया था. इसके बाद वे देश भर में अपनी अलग ही पहचान बनाने वाली महिला के रूप में उभर कर सामने आई. मार्च 2023 में राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने अम्मा को पद्मश्री के सम्मान से सम्मानित किया. इसके बाद उनके अंतरराष्ट्रीय पहचान बन गई.
कई महीनों से बीमार चल रही थीं अम्मा
छोटे से गांव की रहने वाली चित्रकारी के रूप में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित होने वाली पहली आदिवासी महिला थी. उनके निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित भाजपा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने शोक प्रकट किया है.
उमरिया के जिला प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक कई महीनो से पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित जोधईया बैगा "अम्मा" बीमार चल रही थी. उन्होंने रविवार को अंतिम सांस ली. इस बात की खबर जैसे ही सभी दूर फैली वैसे ही उनके प्रति राजनेताओं ने अशोक संविदा प्रकट की. अम्मा ने 65 साल की उम्र में चित्रकला सीखी थी.
शादी के समय उम्र थी 14 साल
जोधइया अम्मा की जब शादी हुई थी, तब वे केवल 14 बरस की थीं. शादी के कुछ साल बाद हुई उनके पति चल बसे. जिस समय पति की मौत हुई, जोधइया बैगा मां बनने वाली थीं. बच्चों को पालने के लिए उन्होंने कड़ी मजदूरी की. 15 साल पहले जोधइया अम्मा की मुलाकात आशीष स्वामी से मिली थी, जिन्होंने उन्हें पेंटिंग बनाने के लिए कहा. उनके कहने पर अम्मा ने साल 2008 में आदिवासी पेंटिंग बनाने की शुरुआत की.
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