पांढुर्ना में 'खूनी' खेल गोटमार, पत्थरों की बौछार में 250 से ज्यादा लोग घायल, 300 साल पुरानी है परंपरा
Gotmar Mela in Pandhurna: पांढुर्ना में पारंपरिक गोटमार उत्सव के दौरान 250 से ज्यादा लोग घायल हो गए. उत्सव मंगलवार शाम को 'पलाश' के पेड़ की पूजा करने के बाद संपन्न हुआ.
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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के पांढुर्ना में मंगलवार को पारंपरिक ‘गोटमार’ या पत्थरबाजी उत्सव के दौरान 250 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें से पांच की हालत गंभीर है. अधिकारियों ने जानकारी दी कि इस उत्सव का मुख्य कार्यक्रम नदी के दो किनारों पर विभाजित दो समूहों के लोगों द्वारा एक-दूसरे पर पत्थर फेंकना है.
यह परंपरा लगभग तीन शताब्दियों से चली आ रही है. पुलिस अधीक्षक सुंदर सिंह कनेश ने बताया कि पांढुर्ना जिले के गठन के बाद यह आयोजन पहली बार हुआ है. किनेश ने बताया कि करीब 280 लोग घायल हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि गंभीर रूप से घायल पांच लोगों को पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के नागपुर में स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
300 साल पहले शुरू हुई थी परंपरा
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि शाम को 'पलाश' के पेड़ की पूजा करने के बाद उत्सव समाप्त हो गया. उन्होंने बताया कि उत्सव के दौरान 500 पुलिसकर्मियों, 16 एंबुलेंस, चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई थी और इस बार ड्रोन कैमरों की भी सेवा ली गई थी. यह परंपरा करीब 300 साल पहले शुरू हुई थी, जब पांढुर्ना के एक लड़के ने पड़ोसी सावरगांव की एक लड़की को प्रेम विवाह के लिए भगा लिया था और उसके साथ नदी पार करते समय उसे लड़की के गांव वालों की पत्थरों की बौछार का सामना करना पड़ा था. इससे पहले कि उसके गांव के लोग उसे बचाने के लिए आते.
अब लड़की को भगाने की कोई घटना नहीं होती. इसके बजाय, सावरगांव और पांढुर्ना गांवों के प्रतिद्वंद्वी समूह जाम नदी के दोनों ओर इकट्ठा होते हैं और बीच धारा में खड़े एक सूखे पेड़ पर लगे झंडे को छीनने की होड़ लगाते हैं, जबकि दोनों तरफ से पत्थर फेंके जाते हैं. पहले भी इस उत्सव के दौरान लोगों की जान जा चुकी है.
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