Kubereshwar Dham: पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा को लेकर उज्जैन में श्रद्धालुओं ने डाला डेरा, इलाके के सारे होटल फुल
Pandit Pradeep Mishra Katha: उज्जैन के मल्लापुरा इलाके में कथा को लेकर व्यापक तैयारियां चल रही है. इसके लिए 100 बीघा जमीन का मैदान तैयार किया गया. किसानों ने खेतों से अधपकी अपनी फसल निकाल दी.
Ujjain News: कथा वाचक प्रदीप मिश्रा (Pradeep Mishra) की उज्जैन में होने वाली शिव पुराण कथा को लेकर श्रद्धालुओं ने डेरा डालना शुरू कर दिया. इसे लेकर उज्जैन में 4 से 10 अप्रैल तक सारी होटलें बुक हो चुकी है. पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा, भोजनशाला और पार्किंग सहित अन्य सुविधाओं को लेकर 100 बीघा जमीन का मैदान तैयार किया गया है.
उज्जैन में पहली बार पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव पुराण कथा होने जा रही है. उज्जैन के मल्लापुरा इलाके में कथा को लेकर व्यापक तैयारियां चल रही है. उज्जैन के महापौर मुकेश टटवाल, पार्षद प्रकाश शर्मा ने बताया कि भोजन, कथा स्थल, पार्किंग सहित अन्य व्यवस्थाओं में 100 बीघा से अधिक भूमि का उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा शहर के होटलों में भी अब जगह नहीं बची है. प्राइवेट होटल के मैनेजर श्याम सिंह ने बताया कि 4 से 10 अप्रैल तक होटल फूल है. होटल में कमरों को लेकर काफी इंक्वायरी आ रही है, लेकिन पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा की वजह से बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं ने पहले से ही रूम बुक कर लिया है. महाकालेश्वर मंदिर के आसपास के होटलों में भी कहीं कोई कमरा नहीं बचा है.
पुलिस और प्रशासन के सामने बड़ी चुनौतियां
पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा को लेकर उज्जैन के जिला प्रशासन और पुलिस के लिए कई ऐसी चुनौतियां हैं, जिन्हें नियंत्रण में रखकर निपटना होगा. सबसे बड़ी दिक्कत शहर की यातायात व्यवस्था की रहने वाली है. वैसे भी महाकाल लोक निर्माण के बाद शनिवार, रविवार और सोमवार को शहर के कई इलाकों में जाम लग जाता है. ऐसी स्थिति में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा में आने वाले वाहनों की वजह से यातायात व्यवस्था ध्वस्त होने की पूरी आशंका है. इसके अतिरिक्त गर्मी का मौसम शुरू होने की वजह से फूड प्वाइजनिंग जैसी घटनाओं को रोकने के कदम भी जिला प्रशासन को उठाने पड़ेंगे. इसके लिए खाद्य विभाग को भी सतर्क रखने की जरूरत है.
किसानों ने अपनी फसल निकाली
कथा स्थल के आसपास के किसानों ने भी अपनी फसल को खेतों से निकाल दिया है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि किसान श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ध्यान रख रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ किसानों ने तो अधपकी फसल भी निकाल ली. एक किसान ने आलू की फसल बोई थी, जिसे बीच में ही निकाल लिया गया. इस तरह किसानों द्वारा कथा को सफल बनाने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं.
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