MP News: मध्य प्रदेश में कस्टम मिलिंग के चावल में गोलमाल के मामले में बड़ी कार्यवाही हुई है. राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के दो जिला प्रबंधको और 4 गुणवत्ता निरीक्षकों को सर्विस से टर्मिनेट कर दिया गया है. इस मामले में केंद्रीय एजेंसी की जांच में पाया गया कि नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और राईस मिलर्स ने सांठगांठ करके करोड़ों रुपयों का पशु आहार एवं मुर्गी दाने के समतुल्य चावल प्रदाय किया था.


भारत सरकार की प्रयोगशाला विश्लेषण में पाया गया कि एकत्रित किये गए सभी 32 नमूने न केवल अमानक थे, बल्कि पीएफए मानकों से भी काफी नीचे थे. केंद्रीय मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि चावल का स्टॉक बकरी, घोड़े, भेड़ और मुर्गी जैसे पशुओं के लिए 'फ़ीड' की श्रेणी में है.


मामले की हुई थी उच्च स्तरीय जांच


यहां बता दें कि 2 साल पहले समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान की कस्टम मिलिंग से चावल बनाकर देने की बजाय नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और राईस मिलर्स ने करोड़ों रुपयों का पशु आहार एवं मुर्गी दाने के समतुल्य अमानक स्तर का चावल प्रदाय कर दिया था.जांच के बाद कई मिलर्स सहित 19 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी थी. इस मामले की उच्च स्तरीय जांच केन्द्रीय शासन के खादय आपूर्ति विभाग के उपायुक्त विश्वजीत हलधर द्वारा की गई थी. प्रदाय किये गये चावल के नमूने का परीक्षण किये जाने पर वह मानव उपभोग के लिये अनुपयोगी पाया गया था. इसके बाद प्रदेश सरकार द्वारा जांच की जिम्मेदारी ईओडब्ल्यू को सौंपी गयी थी. ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद 19 अधिकारियों-कर्मचारियों और राईस मिलर्स के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कर प्रकरण को विवेचना में लिया था.


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जांच में पकड़ी गई लगभग 16 करोड़ की आर्थिक अनियमिकता


शासन द्वारा पूरे प्रदेश में गोदामों की जांच कराई गई तो भारी मात्रा में अमानक स्तर का चावल पाया गया था. प्रकरण में दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय आदेश जारी किये गये थे. जांच में लगभग 16 करोड रूपये की आर्थिक अनियमिकता पकड़ी गयी थी.


नागरिक आपूर्ति निगम भोपाल के प्रबंधक संचालक तरुण पिथोडे ने जांच में दोषी पाये गये आर के सोनी प्रभारी जिला प्रबंधक बालाघाट और मनोज श्रीवास्तव प्रभारी प्रबंधक मण्डला सहित गुणवत्ता निरीक्षक राकेश सेन, नागेश उपाध्याय एवं मुकेश कनेरिया व एक अन्य की सेवा समाप्ति के आदेष जारी किये है.