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MP: पेसा एक्ट में BJP-RSS से जुड़े लोगों को कोऑर्डिनेटर नियुक्त करने का मामला, विवाद में दिग्विजय सिंह भी कूदे

पेसा कोऑर्डिनेटर भर्ती विवाद में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कूद गए हैं. 'जयस' का आरोप है कि शिवराज सरकार ने आरएसएस (RSS) और बीजेपी (BJP) से जुड़े लोगों को कोऑर्डिनेटर बहाल किया है.

MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में 'पेसा कानून' पर जमकर बवाल कट रहा है. पेसा कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को आदिवासी संगठन 'जयस' (जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन) ने घेरा है. 'जयस' का आरोप है कि सरकार ने आरएसएस (RSS) और बीजेपी (BJP) से जुड़े लोगों को कोऑर्डिनेटर बनाकर आदिवासियों के साथ छल किया है. मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) भी कूद गए हैं. उन्होंने एक के बाद एक 11 ट्वीट कर शिवराज सरकार पर हमला बोला. 

पेसा एक्ट भर्ती में गड़बड़ी का मामला

बता दें कि शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में 'पेसा एक्ट' राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सामने लागू करने की घोषणा की थी. उन्होंने प्रदेश में घूम-घूम कर पेसा एक्ट की मसौदे की जानकारी दी और आदिवासी हित में सरकार का क्रांतिकारी कदम बताया. कुछ समय पहले 'पेसा एक्ट' ब्लॉक कॉर्डिनेटर की आउटसोर्स के जरिए सेडमैप से वेकैंसी निकाली गई थी. जयस के मीडिया प्रभारी मायाराम अवाया ने आरोप लगाया कि 89 ब्लॉक में लाखों आदिवासी युवाओं ने फार्म डाले थे.

युवाओं को मेरिट लिस्ट के आधार पर इंटरव्यू का कॉल लेटर आया. अगले ही दिन अचानक स्थगित कर दिया गया. बाद में ब्लॉक कॉर्डिनेटर नियुक्त हुए लोगों की लिस्ट आई. लिस्ट में बीजेपी-आरएसएस से जुड़े लोगों का नाम शामिल था. उन्होंने कहा कि सरकार को आरएसएस के लोगों को नियुक्त करने पर पार्टी फंड से पैसे देना चाहिए. पेसा के ब्लॉक कॉर्डिनेटर्स में कई अयोग्य लोगों का चयन किया गया है. जयस ने मांग की है कि भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर योग्य युवाओं का चयन किया जाए.

दिग्विजय  ने बीजेपी पर बोला हमला

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि बीजेपी ने हमेशा से पेसा एक्ट का विरोध किया था. आइये जानते हैं कि दिग्विजय सिंह के ट्वीट में क्या-क्या आरोप लगाये गए हैं.

1. आदिवासियों के हित में PESA क़ानून सन् १९९६ में संसद में सर्वसम्मति से पारित किया गया. 

2. मध्यप्रदेश पहला राज्य था जिसने १९९७ में अनुसूचित क्षेत्र की सभी पंचायत सभी जनपद (ब्लॉक) पंचायत व सभी ज़िला पंचायतों को आदिवासियों के लिए आरिक्षित की गईं और चुनाव करवाए. बीजेपी ने विरोध किया था.

3. स्व डॉ बीडी शर्मा Retd IAS जो कि PESA क़ानून के जनक थे, को नियम बनाने के लिए अधिकृत किया गया. ग्राम स्वराज्य क़ानून लाया गया ताकि ग्राम के निर्णय ग्राम में ही किए जाएँ और हर विकास के काम के लिए ग्राम सभा की मंज़ूरी की बाध्यता रखी गई.

4. बीजेपी ने उसका भी विरोध किया. 50 प्रतिशत से अधिक आदिवासियों की जनसंख्या में छठवीं अनुसूची लागू करने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित करा कर केंद्र सरकार को भेजा.लेकिन केंद्र में बीजेपी की सरकार ने नामंज़ूर कर दिया.

5. २००३ में PESA के अंतर्गत नियम डॉ बीडी शर्मा जी ने बना कर प्रस्तुत कर दिये जिन्हें लागू करने के आदेश हो गए. बीजेपी ने उसका भी विरोध किया. मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार ने २००३ से उन नियमों के लागू नहीं होने दिया.

6. २०१८ में कॉंग्रेस सरकार ने कमलनाथ जी के नेतृत्व में PESA क़ानून लागू करने की फिर से पहल की. लेकिन कॉंग्रेस के कुछ भ्रष्ट विधायकों को करोड़ों में ख़रीद कर भाजपा ने सरकार गिरा दी.

7. अब २०२३ का चुनाव निकट आया तो PESA याद आया.PESA क़ानून लागू करने के लिए आदिवासी युवकों को कॉर्डिनेटर नियुक्त करने की योजना बनाई.

8. लेकिन भर्ती में योग्य आदिवासी युवक युवतियों को नियुक्त करने के बजाय नियमों के विरूद्ध अपने चहेते राजनीतिक कार्यकर्ताओं को भर्ती करने का षड्यंत्र किया.लेकिन सचेत आदिवासी युवकों ने इनका षड्यंत्र उजागर कर दिया.

9. हमारी मॉंग है तत्काल #PESA क़ानून लागू करने के लिए पारदर्शी तरीक़े से योग्य आदिवासी युवक युवतियों की नियुक्ति की जाए जो ईमानदारी से PESA क़ानून आदिवासियों के हित में लागू करने में भरपूर ईमानदारी से प्रयास करें.

10. मैं JAYS के सभी युवक युवतियों से अनुरोध करता हूँ कि उनके छोटे मोटे आंतरिक विवाद समाप्त कर एक हो कर मध्यप्रदेश में #PESA क़ानून को आदिवासियों के हित में लागू करने में जुट जाएँ.कॉंग्रेस आपके साथ थी है और रहेगी.

11. मेरा सुझाव है कि मध्यप्रदेश कॉंग्रेस को अनुसूचित क्षेत्र में “पत्थर गढि” का कार्यक्रम हाथ में लेना चाहिए जो कि झारखंड में प्रारंभ हुआ था. इसके माध्यम से आदिवासी समाज को जागृत करने की आवश्यकता है.

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