MP News: एमपी के साढ़े 11 हजार से ज्यादा गांवों में PESA एक्ट हुआ लागू, जानें क्या बोले सीएम शिवराज
इस मौके पर सीएम शिवराज ने कहा कि जनजातीय वर्ग को जल, जंगल और जमीन के अधिकार देने के लिए पहली बार हुआ गंभीर प्रयास हुआ है. उन्होंने कहा कि पेसा के नियमों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए.
Bhopal News: मध्य प्रदेश के 11 हजार से ज्यादा गांवों में पेसा एक्ट (PESA Act) लागू हो गया है लेकिन इस एक्ट को जमीन पर उतारना किसी चुनौती से कम नहीं होगा. हालांकि सरकार ने इसके लिए गंभीरता दिखानी शुरू कर दी है. पेसा एक्ट को अमल में लाने का मुख्य दायित्व जिला कलेक्टरों को सौंपा गया है और इसे लेकर 22 नवंबर को राजधानी भोपाल में एक बड़ी बैठक और कार्यशाला भी आयोजित की जा रही है. इसके अलावा 20 नवम्बर से 3 दिसम्बर तक प्रदेश भर में 11 हजार 757 गांवों में ग्राम सभाएं भी होंगी.
22 नवंबर को होगी राज्य स्तरीय पेसा कार्यशाला
भोपाल में 22 नवम्बर को राज्य स्तरीय पेसा कार्यशाला होगी, इसमें 7 संभाग चम्बल, उज्जैन, इंदौर, नर्मदापुरम, जबलपुर, शहडोल और रीवा के कमिश्नर्स और आईजी शामिल होंगे. इसी तरह 20 जिले श्योपुर, रतलाम, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगौन, बड़वानी, खण्डवा, बुरहानपुर, बैतूल, नर्मदापुरम, छिंदवाड़ा, सिवनी, मण्डला, डिंडौरी, बालाघाट, शहडोल, अनुपपूर, उमरिया और सीधी के कलेक्टर्स, पुलिस अधीक्षक, डीएफओ तथा जिला पंचायत के सीईओ भी इसमें हिस्सा लेंगे.
यहां बताते चलें कि प्रदेश के 20 जिलों के 89 विकासखण्डों की 5 हजार 254 पंचायतों के 11 हजार 757 ग्रामों में पेसा एक्ट लागू है. इन ग्रामों की ग्राम सभाएं 20 नवम्बर से 3 दिसम्बर के मध्य होंगी. इन विशेष ग्राम सभाओं में पेसा नियमों के बिन्दुओं पर चर्चा के साथ विस्तृत जानकारी दी जाएगी. इसी तरह ग्राम सभाएं पेसा नियम लागू होने के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पारित करेंगी और 4 दिसम्बर को टंट्या मामा बलिदान दिवस के कार्यक्रमों में भागीदारी पर भी चर्चा करेंगी. प्रभारी मंत्रियों के परामर्श से कलेक्टर्स ग्राम सभा की तारीख तय करेंगे.
सरकार भोपाल से नहीं चौपाल से चले
पेसा एक्ट को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमें एक नया इतिहास रचना है. जनजातीय वर्ग को जल, जंगल और जमीन के अधिकार देने के लिए पहली बार हुआ गंभीर प्रयास हुआ है. अब सरकार भोपाल से नहीं चौपाल से चले, इसके लिए विकेंद्रीकरण की दृष्टि से कार्य किया जाएं. उन्होंने कहा कि पेसा नियमों के बारे में नुक्कड़ नाटक, दीवार लेखन और अन्य माध्यमों से आवश्यक प्रचार भी किया जाएं.
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