Pitru Paksha 2024: पितरों की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण का विशेष महत्व है. श्राद्ध के बीच छह प्रमुख तिथियां आने वाली है. पितृ पक्ष में 15 दिनों तक पितरों का श्राद्ध और तर्पण होता है. श्राद्ध पक्ष के दौरान 15 दिनों तक पितरों की पूजा की जा सकती है. उज्जैन के पंडित नरेश त्रिवेदी आम वाला ने बताया कि सिद्धवट घाट पर तर्पण का विशेष महत्व है.


घाट पर देश भर से श्रद्धालु पितरों का तर्पण करने के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि पितरों की शांति के लिए सिद्धवट घाटों पर अनादि काल से तर्पण होता रहा है. भगवान श्री राम ने भी शिप्रा के तट पर तर्पण और पिंडदान किया था.


पंडित रवि शर्मा ने बताया कि शिप्रा नदी उत्तर वाहिनी है. उत्तर की दिशा देवताओं की दशा मानी जाती है. इसलिए शिप्रा के तट पर तर्पण और कर्मकांड का विशेष महत्व है. उन्होंने बताया कि श्राद्ध पक्ष के दौरान तर्पण और कर्मकांड का महत्व और भी बढ़ जाता है.


पंडित नरेश त्रिवेदी अमवाला ने बताया कि कई लोग ऐसे होते हैं जिनको अपने पूर्वजों के स्वर्गवास की तिथियां ज्ञात नहीं होती हैं. ऐसे लोग यदि श्राद्ध पक्ष के दौरान छह तिथियों पर श्राद्ध, तर्पण, पूजा अर्चना करते हैं तो उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.


इन तिथियों को आंखें मूंद कर पितरों को कर सकते हैं याद

उन्होंने बताया कि इस बार 15 दिनों का श्राद्ध है. उन्होंने बताया कि पूर्णिमा, कुंवारा पंचमी, डोकरा नवमी, चौदस, सर्वपितृ अमावस, एकादशी पर आंख मूंद कर तर्पण किया जा सकता है. गौरतलब है कि पितृ पक्ष की अवधि को पूर्वजों की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है. पितृ पक्ष की अवधि में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि श्राद्ध कर्म करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है.  


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