Pitru Paksha Shradh 2022: पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है. मध्य प्रदेश (Madhya Praesh) के धार्मिक नगरी उज्जैन (Ujjain) में पवित्र सप्त ऋषि मंदिर (Sapt Rishi Temple) में श्राद्ध पक्ष के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. यहां पर पूजा-अर्चना और तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है. मंदिर की प्राचीन कहानी भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) से जुड़ी हुई है. मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने ही इस मंदिर की स्थापना की थी. आज से 5266 साल पहले भगवान श्री कृष्ण ने उज्जैन में गुरु सांदीपनि से 16 दिनों में 64 कलाओं का ज्ञान अर्जित किया था.
सप्त ऋषि मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि जब भगवान श्री कृष्ण ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद गुरु सांदीपनि के सामने गुरु दक्षिणा देने का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने इंकार करते हुए गुरु माता अरुंधति की ओर इशारा कर दिया. गुरु माता ने भगवान श्रीकृष्ण से अपने पुत्र को गयासुर नामक राक्षस से वापस लाने की मांग रखी. भगवान श्री कृष्ण पाताल लोक से गयासुर का संहार करके गुरु माता के एक पुत्र को वापस ले आए. इससे पहले गयासुर ने छह पुत्रों को काल के ग्रास में पहुंचा दिया था.
ये भी पढ़ें- Congress Politics: विधानसभा चुनाव में BJP को मात देने के लिए कमलनाथ ने कसी कमर, आदिवासी क्षेत्रों पर कांग्रेस का फोकस
मंदिर के पुजारी ने पिंड दान का महत्व
स्वर्गवासी हुए पुत्रों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान श्री कृष्ण ने सप्त ऋषि मंदिर की स्थापना की थी. यहीं पर गुरु भाइयों का तर्पण कर उनके मोक्ष की कामना की गई, तभी से मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु तर्पण और पिंडदान करने के लिए आते हैं. मंदिर के पुजारी पंडित सुमन के मुताबिक अवंतिका नगरी में किए गए धार्मिक कार्य का फल किसी भी दूसरे शहर में किए गए पुण्य कार्य से तिल भर बड़ा पुण्य फल माना जाता है. इसी वजह से यहां पर किए गए तर्पण और पिंड दान का महत्व गया से भी अधिक माना गया है. स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में इसका पूरा उल्लेख मिलता है.