PM Modi in Sagar: चुनावी साल में  मध्य प्रदेश में दलित वोटरों को साधने के लिए शिवराज सरकार का सबसे बड़ा आयोजन सागर में 12 अगस्त को होगा. पीएम नरेंद्र मोदी सागर में 100 करोड़ रूपय की लागत से बनने वाले संत रविदास मंदिर की आधारशिला रखेंगे. इस आयोजन का संदेश देने के उद्देश्य से प्रदेश में 5 स्थानों से समरसता यात्राएं निकाली गई.  समरसता यात्रा  9 अगस्त से सागर पहुंचना शुरू हो जाएंगी. 


यहां बड़ी संख्या में  संतों का समागम होगा. आयोजन में कई केंद्रीय और शिवराज सरकार के मंत्री शामिल होंगे. आयोजन को लेकर व्यापक तैयारियां की जा रही है. पीएम मोदी सागर के नरयावली विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बड़तूमा में भव्य मंदिर का भूमिपूजन करेंगे. इसके बाद ढाना हवाई पट्टी पर एक सभा को संबोधित करेंगे. 


कार्यक्रम की व्यापक तैयारियां
पीएम के आयोजन को लेकर प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर व्यापक तैयारियों की जा रही है. सागर जिले में विधानसभा स्तर पर उप यात्राएं निकाली जा रही है. संत रविदास के प्रेरक संदेशों को बताया जा रहा है. सीएम शिवराज सिंह कार्यक्रम की लगातार समीक्षा कर रहे है. कलेक्टर दीपक आर्य ने बताया कि वे नई दिल्ली से खजुराहो एयरपोर्ट और वहां से सीधे बड़तूमा हेलीपैड पहुंचेंगे.


यहां 100 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे संत रविदास के मंदिर का भूमि पूजन कर 2:25 बजे ढाना कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना होंगे और 2:45 बजे ढाना पहुंचेंगे.


सुरक्षा के कड़े इंतजाम
पीएम की सुरक्षा के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के आ चुकी है. पूरे कार्यक्रम में सुरक्षा के लिए 5 हजार पुलिस जवान भी तैनात रहेंगे. इनमें से कुछ जवान सादी वर्दी में रहेंगे. पुलिस और सुरक्षा बल की कई फोर्स की तैनाती हो रही है. ढाना सभा स्थल पर प्रशासन ने 1.25 लाख लोगों के हिसाब से इंतजाम किए हैं. इसमें 5 हजार संत रहेंगे. सभा स्थल पर हितग्राहियों और जनता लाने वाली तीन हजार बसें और ढाई से तीन हजार चार पहिया वाहनों की पार्किंग के इंतजाम किए जा रहे हैं.


 ट्रैफिक प्लान को लेकर काम हो रहा है
एसपी अभिषेक तिवारी ने बताया कि पुलिस अधिकारी अभी ट्रैफिक प्लान को लेकर काम कर रहे हैं. सभा स्थल पर 5 लेयर में सिक्योरिटी और 2 लेयर की फेंसिंग रहेगी. बड़तूमा के आसपास के क्षेत्रों में सघन चेकिंग चलाई जा रही है. इसके लिए जंगल में सर्चिंग करने वाली स्पेशल टीम बुलाई गई है. फोरलेन पर मालथौन तक पेट्रोलिंग की जा रही है. प्वाइंट बनाकर क्रेन तैनात की जा रही हैं.


एसपी ने कहा कि दोनों कार्यक्रम स्थलों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहेगा. कार्यक्रम स्थलों पर ड्रोन के माध्यम से लगातार निगरानी की जाएगी.


सांस्कृतिक चेतना का  केंद्र बनेगा मंदिर
संत रविदास मंदिर के साथ इसमे कला संग्रहालय भी बनेगा, जिसमें विभिन्न सुविधाओं के साथ देश-विदेश के कई साधक, संशोधक और भक्तों को आकर्षित करेगा. आधुनिक संसाधन, प्रकाश, पेड़-पौधों से परिसर का वातावरण ज्ञान के साथ सुकून का अनुभव भी करायेगा. साथ ही, इस परिसर का निर्माण वस्तु विज्ञान के आधार पर तैयार किया जाएगा. संत रविदास मन्दिर एवं कला संग्रहालय 101 करोड़ की लागत से 11.21 एकड़ भूमि में आकार लेगा. जिसमें निम्न विविध स्वरूप शामिल रहेंगे
 
मंदिर
इस परियोजना के मध्य में 5500 वर्ग फुट में मुख्य मंदिर आकार लेगा. मन्दिर नागर शैली से बनाया जाएगा. मंदिर में गर्भगृह, अंतराल मन्डप तथा अर्ध मंडप का सुंदर निर्माण होगा. मन्दिर केवल पूजा का स्थान न बनकर सांस्कृतिक-आध्यात्मिक संवाद का केंद्र बनेगा. आगंतुक भारतीय संस्कार व संस्कृति के विषय में विस्तार से जान पाएंगे. आध्यात्मिक विश्वासों पर चिंतन एवं मनन के लिए यह केन्द्र मुख्य आकर्षण बनेगा.


जलकुंड
संत रविदास संग्रहालय (म्यूजियम) के प्रवेश द्वार के सामने बड़ा सा जलकुंड आकार लेने वाला है. सुन्दर नक्काशी और मूर्तियों के साथ इस जलकुंड के आसपास पेड़-पौधों से युक्त रमणियता प्रदान की जायेगी. जल से पवित्रता का अनुभव होता है. इसलिए कुंड के पास विहार करने योग्य विशाल गलियारा बनेगा.


कला संग्रहालय
मंदिर के आसपास वर्तुलाकार की भूमि पर चार गैलेरी बनेगी, जिसमें, संत रविदास जी के जीवन को विस्तृत रूप एवं आधुनिक संसाधनों की सहायता से प्रस्तुत किया जायेगा. संत रविदास की वाणी, उनके कार्य, सामाजिक योगदान, भक्ति आंदोलन में संत रविदास की भूमिका आदि विषयों को कलात्मक रूप से आधुनिक तकनीकों के साथ दर्शाया जायेगा .


पुस्तकालय
दस हजार वर्ग फीट में पुस्तकालय और संगत सभा खंड आकार लेगा. यहाँ संत रविदास जी की उपलब्धियों और शिक्षाओं को संग्रहित किया जायेगा. संत रविदास जी के कृतित्व के साथ यहां आध्यात्मिक, धार्मिक पुस्तकें भी रखी जायेगी. यह पुस्तकालय साहित्य संसाधनों के संग्रहण के रूप में सामने आयेगा. पुस्तकालय में संत रविदास के साथ अन्य महान गुरुओं एवं दार्शनिकों के विचार एवं ओजस्वी, वाणी, प्रवचनों एवं संभाषणों को संग्रहित कर रखा जायेगा. आगंतुक और संत रविदास के अनुयायी इस स्थान पर बैठकर साहित्य का अध्ययन कर सके, ऐसी व्यवस्था उपलब्ध होगी.


संगत सभाखंड
संगत सभाखंड का आकार फूलों की पंखुड़ियों जैसा निर्मित होगा. नवीन एवं आकर्षक रूप के इस विशाल संगत सभा खंड में संत रविदास की वाणी के साथ कई अन्य धार्मिक, आध्यात्मिक, संशोधनलक्षी कार्य होंगे, जैसे व्याख्यान, कार्यशाला, संगोष्ठियाँ. इस स्थान पर आकर लोग अपने विचारों का सरलतम तरीके से आदान- प्रदान कर पाएंगे. संगत सभाखंड सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण एवं संवर्धन का स्त्रोत बनेगा.


भक्त निवास
यहां एक भक्त निवास, 12,500 वर्ग फुट में बनेगा. यह क्षेत्र विश्व भर से पधारे साधकों, भक्तों, संशोधक, विद्वानों, यात्रियों की निवास व्यवस्था के लिए बनेगा. आरामदायक एवं रहने की समस्त व्यवस्थाएं यहां उपलब्ध होगा. एयर कंडीशनर कमरे, साफ बिस्तर, संलग्न बाथरूम वाले पंद्रह कमरे होंगे. साथ ही, पचास व्यक्तियों के लिए छात्रावास की सुविधा भी प्राप्त होगी.


अल्पाहार -गृह
परिसर में पंद्रह हजार वर्ग फीट में विशाल अल्पाहार- गृह का निर्माण होगा. डोम की डिजाइन वाले इस अल्पाहार-गृह में नाश्ते एवं विभिन्न बानगियों को भोजन परोसा जाएगा. बैठने के लिए पारंपरिक मेज और कुर्सियों के साथ बाहरी बैठक व्यवस्था भी बनाई जाएगी.


गजेबो
अल्पाहार गृह के पास दो बैठने योग्य स्थान ( गजेबो ) बनेंगे. मुलाकाती इस स्थान का उपयोग बैठने, पढ़ने, नाश्ता करने, विचारों का आदान-प्रदान करने हेतु कर पायेंगे. 1940 वर्ग फुट में निर्मित यह क्षेत्र खुला होने के कारण आसपास का प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेना सरलतम एवं सुकूनदेह होगा.


संत रविदास मंदिर एवं संग्रहालय के माध्यम से आधुनिक विकास और कलात्मकता के साथ संत शिरोमणि रविदास की शिक्षा एवं दीक्षाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का मध्य प्रदेश सरकार का यह प्रयास निश्चित रूप से सार्थक एवं स्वागत योग्य है. यह आध्यात्मिक स्थान समग्र विश्व की विभिन्न संस्कृति के साधकों के लिए वैचारिक, सार्वभौमिक एवं सर्वस्पर्शी केंद्र बिंदु बनेगा. साथ ही रहस्यवाद पंथ की गहरी समझ को और विस्तृत एवं व्यापक बनाएगा.


कल 9 अगस्त से करेगी प्रवेश
संत शिरोमणि श्री रविदास जी के बताए हुए मार्ग पर चलकर सामाजिक समरसता का संदेश देने के लिए समरसता यात्रा प्रारंभ की गई है. प्रदेश में यह यात्राएं 5 यात्रा मार्गो बालाघाट, धार, नीमच, श्योपुर और सिंगरौली जिले से प्रारंभ की गई है. जिससे संत शिरोमणि रविदास जी के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाया जा सके. इस यात्रा का समापन (पूर्णता) कार्यक्रम 12 अगस्त को सागर जिले में होगा.  9 अगस्त से अलग अलग मार्गो से ये यात्राएं सागर आएंगी.


सागर से विनोद आर्य की रिपोर्ट


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