भोपाल: दिया तले अंधेरे की कहावत तो सभी ने सुनी होगी पर यह कहावत राजधानी भोपाल में राजभवन के पीछे ही सुनाई और दिखाई दे तो थोड़ा अजीब सा लगता है. लेकिन यह सही है. राजधानी भोपाल का सबसे निर्धन एक सरकारी स्कूल है. इस प्रायमरी स्कूल के पास स्वयं का भवन नहीं है.पिछले 22 साल से नगर निगम के भवन में यहां संचालित हो रहा है.इसी भवन में तेरहवीं और शादी विवाह जैसे आयोजन होते हैं.इस स्कूल में 92 बच्चे पढ़ते हैं.


मध्य प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा


मिली जानकारी के अनुसार राजधानी भोपाल में राजभवन के पीछे रोशनपुरा बस्ती में सरकारी प्राइमरी स्कूल है.यह स्कूल एक ही कमरे में संचालित हो रहा है. एक कमरे में ही पांच क्लासों के बच्चे एक साथ बैठकर पढ़ाई करते हैं.स्कूल के 92 बच्चों को तीन शिक्षक पढ़ाते हैं.इस स्कूल की निर्धनता की स्थिति यह है कि सामुदायिक भवन की दीवारों पर बनाए गए पोस्टर के जरिए फलों के नाम,गिनती,वर्णमाला पढ़ना-लिखना बच्चों को सिखाया जाता है.


गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं
बता दें कि इस बस्ती में निर्धन लोग निवास करते हैं. बस्ती के करीब स्कूल होने से यहां यह बच्चे पढ़ने आते हैं. साल 2001 से यहां पर स्कूल का संचालन हो रहा है. विडंबना यह है कि इस स्कूल को संचालित होते-होते 22 साल का लंबा अरसा बीत गया है,लेकिन स्कूल को स्वयं का भवन नसीब नहीं हो सका है.जबकि स्कूल की स्थिति से शिक्षा विभाग सहित तमाम अफसर वाकिफ हैं.इसके बाद भी अनदेखी की जा रही है. 


बता दें कि स्कूल की हालत पहले यह थी कि 13वीं,शादी-विवाह समारोह होने पर स्कूल की छुट्टी कर दी जाती थी, लेकिन शिक्षकों की जिद के बाद स्कूल भवन में दोपहर तीन बजे से आयोजन होते हैं.हालांकि सरकारी स्कूलों में इस तरह के आयोजन नहीं करने की गाइडलाइन है.ये बिल्डिंग नगर निगम की है. इसलिए मजबूरी में हमें भी स्कूल की छुट्टी के बाद ये भवन आयोजन के लिए देना पड़ता है.डीईओ नितिन सक्सेना का कहना है बिल्डिंग के लिए जगह नहीं है जल्द ही जगह ढूंढ कर नई बिल्डिंग बनाई जाएगी फिलहाल एक भवन में स्कूल संचालित हो रहा है.


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