Lahri Bai Profile: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की तारीफ से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सुदूर आदिवासी डिंडोरी (Dindori) जिले की लहरी बाई (Lahri Bai) आज राष्ट्रीय सुर्खियां बन गई हैं. 27 साल की इस आदिवासी महिला के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा,"लहरी बाई पर गर्व है,जिन्होंने श्री अन्न के प्रति उत्कृष्ट समर्पण दिखाया है.उनके प्रयास कई अन्य लोगों को प्रेरित करेंगे."


आइए जानते हैं कि लहरी बाई की देशभर में प्रशंसा क्यों हो रही है? दरअसल,लहरी बाई मिलेट्स (मोटा अनाज) का बीज बैंक चलाती है. इस पर दूरदर्शन ने 2 मिनट 13 सेकेंड की स्टोरी दिखाई.दूरदर्शन के ट्वीटर हैंडल पर पोस्ट इस स्टोरी को रिट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लहरी बाई की तारीफ की.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लहरी के बीज बैंक की तारीफ की और कहा कि लहरी बाई लोगों के लिए प्रेरणा हैं.लहरी बाई के मिलेट्स बैंक में मोटे अनाज के 150 दुर्लभ बीज मौजूद हैं.






डिंडौरी जिला मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मिलेट्स उत्पादक जिला है.डिंडोरी जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर है सिलपीड़ी गांव.इसी गांव के दो कमरों के मकान में रहती हैं 27 साल की लहरी बाई.वैसे,लहरी बाई ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं. उन्हें सिर्फ अक्षर ज्ञान है.बुजुर्ग और बीमार माता-पिता की देखभाल के कारण उन्होंने शादी भी नहीं की है.हालांकि लहरी भाई की शख्सियत के बारे में देश में अब जाना है, लेकिन डिंडोरी जिला उनके इस काम से लंबे समय से वाकिफ है.उनके मिलेट्स बैंक को स्थानीय स्तर पर तमाम पुरस्कार मिल चुके हैं.


कितने तरह के बीज हैं लहरी बाई के पास


लहरी बाई के पास मोटे अनाज के वे बीज हैं,जो लोगों की थाली ही नहीं बल्कि खेतों से भी गायब हो गए हैं.उनके बीज बैंक के कलेक्शन को दुर्लभ माना गया है.अपने दो कमरे के मकान में लहरी बाई ने एक कमरे में बीजों को बेहद सहेजकर रखा है.लहरी बाई के इस मिलेट्स बैंक में 30 से ज्यादा ऐसी किस्म के मोटे अनाज के बीज हैं, जिनके नाम जानने वाले भी अब बहुत कम लोग ही हैं.मोटे अनाज के नाम पर ज्यादातर लोग सिर्फ ज्वार, बाजरा,मक्का, कोदो या कुटकी को ही जानते हैं.


लहरी बाई बताती है कि आज खेती का तरीका बदल गया है.लोग ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर मे मोटे अनाज की खेती से दूर भाग गए.लेकिन आदिवासी समुदाय के लोग बचपन से ही मोटे अनाज खाते आ रहे हैं.इसी बीच मुझे चिंता हुई कि कुछ समय बाद मोटे अनाज के बीज खत्म हो जाएंगे. इसके बाद मैंने उन्हें अपने घर में जमा करने लगी.उसके लिए मुझे आसपास के गांव में जाना पडा.वहां से बीज लाकर पहले खुद अपने खेत में लगाया और जब बीज ज्यादा हो गया तो उसे बीज बैंक में रखती गई. लोगों को घर-घर जा जाकर समझाती कि मोटे अनाज खाने से शरीर ठीक रहता है.ताकत मिलती है.उसके फायदे बताए तो फिर धीरे-धीरे लोग मुझसे ही बीज मांगने लगे.


लहरी बाई अब गांव-गांव जाकर अपने बैंक के मोटे अनाज के बीज बांटती हैं और लोगों को उसके बारे में समझाती हैं. धीरे-धीरे और लोगों ने भी मोटे अनाज की खेती शुरू कर दी है. इससे लहरी बाई के इस प्रयास का शानदार सुफल मिलने लगा है.जब कोई किसान उनके बैंक से बीज लेता है तो फसल कटाई के बाद उसकी वसूली की जाती है.उसने जितना बीज लिया था,उससे एक किलो बढ़कर अनाज लहरी बाई लेती हैं.


यहां बता दें कि मिलेट्स उत्पादन में मध्य प्रदेश अभी देश में दूसरे नंबर पर है.पहला नंबर छत्तीसगढ़ का है.वहीं डिंडौरी जिला मिलेट्स उत्पादन में प्रदेश में पहले नंबर पर है.मिलेट्स यानी मोटा अनाज को सुपर फूड भी कहा जाता है.ये पोषक तत्वों का खजाना हैं.केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी संसद में इसे 'श्रीअन्न' कहा और इसके उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया.इस साल अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स ईयर भी मनाया जा रहा है.


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