MP News: इंदौर के शासकीय विधि कॉलेज में पिछले दो दिनों से लव जिहाद को बढ़ावा देने का विवाद चल रहा था, लेकिन उसके बाद शनिवार देर शाम एक किताब सामने आई है, जिसमें कॉलेज द्वारा पढ़ाई करने को लेकर नया मामला सामने आया है. जिसमे लेखिका द्वारा किताब में आपत्तिजनक बाते लिखी गई थी. हालांकि इस किताब को लेकर पहले भी 2021 में विवाद सामने आया था. उस समय लेखिका द्वारा माफ़ी नामा लिख कर अपनी किताब में बदलाव किया गया था, लेकिन अभी वह किताब कॉलेज की लाइब्रेरी में मौजूद पाई गई. जिसे लेकर छात्र संगठन द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.
प्रिंसिपल ने दिया इस्तीफा
वहीं बढ़ते विरोध प्रदर्शन देख प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा रविवार को इंदौर पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र को इस बात से अवगत कराया गया था कि इस किताब को 24 घंटे में जांच कर एफआईआर दर्ज करने का कहा गया था. वहीं रविवार को एक बार फिर एबीवीपी छात्र संगठन द्वारा लॉ कॉलेज में विरोध प्रर्दशन किया गया. जिसके बाद कॉलेज के प्रिंसिपल इनामुर्रहमान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस लेटर में उन्होंने कहा कि महाविद्यालय में छात्रों और बाहरी लोगों द्वारा जो आंदोलन किया जा रहा है. उससे वह आहत हैं और दुखी होकर वह अपने पद इस्तीफा दे रहे हैं.
की जा रही जांच
गृहमंत्री के आदेश के बाद इंदौर के भंवरकुआं थाना प्रभारी शशिकांत चौरसिया ने बताया कि शासकीय विधी महाविद्यालय के छात्रों द्वारा शिकायत दर्ज करवाई है. शिकायत मे एक पुस्तक का जिक्र किया गया है. उन्हें कॉलेज के लाइब्रेरी से एक पुस्तक दी जा रही थी और सिलेबस में टीचर द्वारा प्रयोग किया जा रहा था. उस पुस्तक में कई जगह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसी बातें लिखी गई हैं. जिसे आधार पर पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज कर ली गई हैं. चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. जिसमें लेखिका डॉ फरहत खान, प्रकाशक, टीचर डॉ मिर्जा मोजिज बैग और प्रिंसिपल इनामुर्रहमान के खिलाफ IPC की धारा 153,295A, 504, 505, 34 में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई है.
बता दे कि लॉ कॉलेज में इंदौर की लेखिका फरहत खान द्वारा लिखित सामूहिक हिंसा और डांडिक न्याय पद्धति नामक पुस्तक में धारा 370 और कश्मीर को लेकर कई संवेदनशील विषयों पर विवादित टिप्पणी की गई थी. इस किताब में कश्मीर में उग्रवाद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अलावा विद्यार्थी परिषद को लेकर भी टिप्पणी की गई थी. साथ ही संघ और परिषद को राष्ट्रीय अखंडता के संकट के लिए जिम्मेदार बताया गया. वहीं ऐसे संगठनों को हिंदू बहुमत का राज स्थापित करने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए अन्य समुदायों को शक्तिहीन बनाकर गुलाम बनाने जैसी बातें लिखी गई हैं. जिसे लेकर यह विवाद हो रहा है.