Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में बांटे जाने वाले गेंहू-चावल के घटिया होने की शिकायत आम है. अब इस गड़बड़ी पर नकेल कसने के लिए मध्य प्रदेश सरकार नया रास्ता तलाश रही है. सरकार पीडीएस के खाद्यान की जांच का जिम्मेदारी निजी एजेंसी को देने जा रही है. एजेंसी की जांच रिपोर्ट पर सरकार कार्रवाई करेगी. इसकी टेंडर प्रक्रिया अंतिम दौर में है.
प्रदेश में प्रतिमाह सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 5 करोड़ उपभोक्ताओं को खाद्यान वितरित किया जाता है. आम धारणा है कि पीडीएस में बंटने वाले गेंहू-चावल सहित अन्य खाद्यान की गुणवत्ता को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं. इसे देखते हुए राज्य सरकार द्वारा पहली बार सरकारी और प्राइवेट गोदाम स्तर पर निजी एजेंसी से जांच कराने का निर्णय लिया गया है.
सरकारी गोदामों पर हो रही गड़बड़ी पर नकेल कसने के लिए सरकार कर रही तैयारी
इन गोदामों में अभी 185 लाख टन गेहूं और चावल रखा हुआ है. साल 2020 में बालाघाट, मंडला, सिवनी सहित अन्य जिलों में चावल की गुणवत्ता को लेकर केंद्र सरकार ने जांच कराई थी और गोदामों में ईओडब्ल्यू का छापा भी पड़ा था. इसमें बड़े पैमाने पर अमानक चावल पाया गया और इसे मिलर को वापस लौटाकर गुणवत्तायुक्त चावल लिया गया था. इसी तरह अनूपपुर और कटनी में भी अमानक चावल मिला था. घुन, मिट्टी और भूसी मिला गेहूं उचित मूल्य की दुकानों से बंटने की शिकायतें भी मिली थी. भोपाल में मिट्टी मिले गेहूं के वितरण को लेकर कार्रवाई भी हो चुकी है.
सरकार ने निजी एजेंसी से जांच कराने का लिया निर्णय
खरीद के बाद जो गेहूं और मिलिंग के बाद चावल गोदामों में जमा किया जाता है, उसमें गड़बड़ी की शिकायतें अधिक मिलती हैं. अभी भंडार गृह निगम के अधिकारी गोदामों की जांच करते हैं लेकिन इसमें मिलीभगत की आशंका रहती है. यही वजह है कि अब सरकार ने निजी एजेंसी से जांच कराने का निर्णय लिया है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के संचालक दीपक सक्सेना ने मीडिया को बताया कि जांच के लिए निविदा में सबसे कम दर तीन रुपये 60 पैसे प्रति क्विंटल की आई है. निविदा को अंतिम रूप दे दिया गया है. लगभग साढ़े छह करोड़ रुपये इस कार्य में व्यय होंगे.
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