Sehore News: कहने को तो सीहोर (Sehore) को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) का गृह जिला कहा जाता है. लेकिन शिक्षा माफिया उनके गृह जिले में भी अपनी मनमानी पर उतारू हैं. कोरोना संकट (Corona) अभी पूरी तरीके से दूर भी नहीं हुआ है, इस बीच निजी स्कूल संचालकों (Private School Opreator) ने एक बार फिर अपनी मनमानी शुरू कर दी है. शिक्षा सत्र के शुरुआती समय में ही निजी स्कूल संचालकों ने फीस (School Fee) बढ़ा दी है. जबकि नियम कहता है कि शासन के द्वारा गठित जिला कमेटी की अनुशंसा के बिना फीस नहीं बढ़ाई जा सकती है.
निजी स्कूल अभिवावकों को कैसे परेशान करते हैं
फीस में बढ़ोतरी करने के साथ-साथ निजी स्कूल संचालकों की स्टेशनरी वालों से सांठगांठ भी खुलेआम चल रही है. स्कूल संचालक अपनी मनमानी दुकान से ही कोर्स की किताबें और यूनिफार्म खरीदने के लिए पेरेंट्स पर दबाव डाल रहे हैं. इससे दोनों ही ओर से पेरेंट्स का नुकसान हो रहा है. साल 2015 में हाई कोर्ट ने यह निर्देश दिया था कि स्कूल संचालक मनमाने तरीके से फीस नहीं बढ़ाएंगे. इसके लिए नियामक कमेटी का गठन किया जाएगा. जिसके अधीन रहकर ही 3 साल में सिर्फ एक बार 10 फ़ीसदी का इजाफा फीस में किया जाएगा. अदालत ने कहा था कि ऐसा नहीं होने पर जिला कमेटी फीस बढ़ाने वाले संस्थानों पर 2 लाख या उससे अधिक का जुर्माना भी लगा सकती है. लेकिन इन बातों का निजी स्कूल संचालकों पर कोई असर नहीं हुआ है. उन्होंने मनमाने तरीके से फीस में 40 से 50 फीसदी तक की बढोतरी कर दी है.
वहीं दूसरी ओर निजी स्कूल संचालक बार-बार अपने कोर्स में बदलाव करते हैं. इसका असर यह होता है कि बच्चे पुराने कोर्स की किताबों से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं और उन्हें नई किताबें खरीदनी पड़ती हैं. निजी स्कूलों के संचालक कोर्स की किताबों को भी अपनी पसंदीदा दुकानों से खरीदने के लिए कहते हैं. इसमें कमिशनखोरी की जाती है. इन दुकानों से दो से चार गुना अधिक कीमत पर किताबें और कॉपी उपलब्ध कराई जाती हैं.
क्या कहते हैं शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी
पाठ्यक्रम कोर्स में भी इस साल 10 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. कोरोना के दौरान स्कूल बंद थे विशेषकर छोटी क्लासें पूरी तरह से नहीं लग रही थीं. इस सत्र में स्कूल पूरी तरह से खुलने की संभावना है. इस वजह से स्कूल यूनिफार्म, कोर्स की किताबों और फीस में लगातार बढ़ोतरी कर अभिभावकों की जेब पर बोझ डाल रहे हैं.
जिला स्तरीय नियामक कमेटी की अध्यक्षता का काम डीईओ के पास होता है. इस संबंध में जब सीहोर के डीईओ यूयू भीड़े से चर्चा की. उन्होंने बताया कि जिले में कमेटी का गठन किया गया है. लेकिन कमेटी को कार्यवाही के संबंध में अभी सीधा और स्पष्ट निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं. उन्होंने बताया कि अभी किसी भी अभिभावक ने उनसे किसी तरह की शिकायत नहीं की है. उन्होंने बताया कि जब निर्देश या किसी प्रकार की कोई शिकायत प्राप्त होगी तो आवश्यक रूप से कार्रवाई की जाएगी.
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