Sagar News: पद्मश्री से सम्मानित प्रो. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी का निधन, मध्य प्रदेश से रहा है यह नाता
MP News: संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक और प्रोफेसर वागीश शास्त्री का जन्म सागर जिले के खुरई का बिलैया गांव में 24 जुलाई 1934 को हुआ था.
सागर: योग और तंत्र विद्या के विशेषज्ञ और पद्मश्री से सम्मानित प्रो. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी वागीश शास्त्री (Professor Bhagirath Prasad Tripathi) का निधन हो गया है. वो 88 साल के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. उनका निधन बुधवार रात वाराणसी (Varanasi) में हुआ. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) , यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने शोक जताया है. वागीश जी का जन्म सागर के बिलैया गांव में हुआ था.
कहां हुआ था जन्म
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक और प्रोफेसर वागीश शास्त्री का जन्म सागर जिले के खुरई का बिलैया गांव में 24 जुलाई 1934 को हुआ था. उनकी शुरूआती शिक्षा सागर के संस्कृत विद्यालय में हुई. इसके बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए बनारस चले गए और वहीं के होकर रह गए.
डॉक्टर भागीरथ त्रिपाठी के भतीजे ब्रिजेश त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने बनारस में यज्ञोपवीत के साथ गायत्री मंत्र की गुरु दीक्षा लेकर डॉक्टर वागीश को ही अपना गुरु बनाया था. उन्होंने बताया कि गांव और परिवार में वो भक्तराम के नाम से विख्यात रहे. उनके बड़े भाई पंडित नेतराम तिवारी ने बताया कि भक्तराम बचपन से ही मेघावी थे. जब सारे बच्चे खेलते थे तो वह गांव के खलिहान में योग का अभ्यास करते थे.
कब मिला था पद्मश्री सम्मान
संस्कृत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले प्रो. वागीश शास्त्री को 2018 में पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया गया था. उन्होंने 1959 में वाराणसी के टीकमणि संस्कृत महाविद्यालय में संस्कृत प्राध्यापक के रूप में अपने अध्यापकीय जीवन की शुरुआत की थी. इसके बाद वो संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में अनुसंधान संस्थान के निदेशक व प्रोफेसर के पद पर 1970 में नियुक्त हुए और 1996 तक विश्वविद्यालय में कार्यरत रहे.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रो. त्रिपाठी के निधन पर शोक जताया है. उन्होंन ट्विटर पर लिखा, ''यह दुखद समाचार है. प्रोफेसर त्रिपाठी सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक दौर में संस्कृत की उपयोगिता के अद्भुत सेतु रहे.''
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