MP News: जिस लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की लोकसभा से सदस्यता चली गई, उसी के फेर में फंसे मध्य प्रदेश के तीन विधायक अपनी सदस्यता बचाने में कामयाब हो गए थे. राहुल गांधी के मामले में लोकसभा अध्यक्ष ने फैसला आनन-फानन में ले लिया, लेकिन मध्य प्रदेश के विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने ऊपरी अदालत से स्थगन लाने का मौका देकर फिलहाल उनकी विधायकी सुरक्षित कर दी है.


नियमानुसार, अगर किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा हो जाती है तो उसकी विधानसभा से सदस्यता तो जाएगी. साथ में वह 6 साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाएगा. यही कानून लोकसभा सदस्य पर भी लागू होता है.लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत किसी सांसद या विधायक की सदस्यता जा सकती है. इस क़ानून के ज़रिए आपराधिक मामलों में सज़ा पाने वाले सांसद या विधायक की सदस्यता को रद्द करने का प्रावधान है.


2 बीजेपी और एक कांग्रेस विधायक की सदस्यता पर आई थी आंच
यहां बता दें कि कानूनी दांवपेच में उलझे मध्य प्रदेश के 3 विधायकों की सदस्यता दांव पर लग गई थी. इसमें दो बीजेपी और एक कांग्रेस के विधायक थे. बीजेपी के एक विधायक को निर्वाचन आयोग से जानकर छिपाने का आरोप लगा है तो दूसरे का जाति प्रमाणपत्र नकली पाया गया था. दोनों बीजेपी विधायकों की विधानसभा की सदस्यता रद्द करने का आदेश हाई कोर्ट से हुआ था.


नहीं हुई तीनों की सदस्यता रद्द
वहीं, कांग्रेस के विधायक जमीन फर्जीवाड़े में एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट से दो साल सजा मिलने के कारण संकट में थे. लेकिन ऊपरी अदालत से सजा पर स्थगन मिलने के कारण तीनों की विधायकी बच गई. हालांकि, कहा जा रहा है कि इनकी विधायकी बचाने में विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका सबसे बड़ी थी. उन्होंने तुरंत सदस्यता रद्द करने की जगह तीनों विधायकों को उच्च अदालत स्व स्थगनादेश लाने का मौका दिया.


अजब सिंह कुशवाह ऐसे फंसे थे कानूनी दांव-पेंच में
सुमावली से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाह ऐसे ही कानूनी पेंच में फंसे थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायक ऐदल सिंह कंसाना के बीजेपी में शामिल होने के बाद नवंबर में 2020 में सुमावली में उपचुनाव हुआ था. इसमें कांग्रेस के उम्मीदवार अजब सिंह कुशवाह ने बीजेपी के ऐदल सिंह कंसाना को हरा दिया और विधायक चुने गए. विधायक बनने के बाद अजब सिंह कुशवाह कानूनी मुश्किलों में फंस गए. 


अजब सिंह पर सरकारी जमीन बेचने के आरोप लगे. इस मामले में उनके खिलाफ ग्वालियर के महाराजपुरा थाने में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज हुई. आरोप लगाया गया कि विधायक ने सरकारी जमीन को लगभग 75 लाख में बेच दिया है. मामले में पुरुषोत्तम शाक्य ने आरोप लगाया कि विधायक अजब सिंह ने यह जमीन उन्हें बेची थी, मगर कब्जा नहीं मिला. बताया गया है कि इस मामले पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर के एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय ने विधायक अजब सिंह सहित अन्य लोगों को दो-दो साल की सजा सुनाई है. इसके साथ 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया था.


जजपाल सिंह जज्जी की सदस्यता पर भी आई थी आंच
अशोकनगर से बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी पर भी न्यायालय का कहर टूटा था. एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सिंधिया समर्थक बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी का जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर उनके खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.विधायक जज्जी पर 50 हजार का जुर्माना लगाने के साथ ही विधानसभा सदस्यता निरस्त करने के लिए भी कहा गया है.अशोकनगर विधायक जज्जी ने अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र का उपयोग कर आरक्षित सीट से चुनाव लड़कर जीता था.


राहुल सिंह लोधी का निर्वाचन हुआ था शून्य घोषित
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे राहुल सिंह लोधी की विधायकी छीनने के आदेश भी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की मुख्य पीठ से हुआ था.राहुल सिंह लोधी टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा से 2018 में पहली बार विधायक बने. इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी चंदा रानी गौर ने राहुल लोधी द्वारा निर्वाचन पत्रों में जानकारी छिपाने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी .याचिका पर सुनवाई के बाद जबलपुर हाई कोर्ट ने आरोप सही पाते हुए राहुल लोधी का निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया. बाद में राहुल लोधी को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल गया.


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