Jabalpur: जबलपुर में रेलवे द्वारा निजी भूमि का अधिग्रहण किये बिना रेल लाइन बिछा देने का अनोखा मामला सामने आया है. जिस पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने दक्षिण पूर्व रेलवे (South East Railway) से सवाल किया है. कोर्ट ने पूछा कि भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी किए बिना जबलपुर-नागपुर ब्रॉडगेज रेलवे लाइन (Jabalpur Nagpur Broad Gauge Railway Line) के कैसे बिछा दिया गया? ब्रॉडगेज रेल लाइन के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिका पर जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने साउथ ईस्टर्न रेलवे के चीफ इंजीनियर, निगमायुक्त जबलपुर, भू-अर्जन अधिकारी, टीएंडसीपी के ज्वॉइंट डायरेक्टर और तहसीलदार गोरखपुर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले पर अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी. 


याचिकाकर्ता ने लगाया आरोप

इस मामले में जबलपुर निवासी ब्रजेश जैन और सुशील जैन ने याचिका दायर कर बताया कि उनकी सुखसागर वेली के पास आठ एकड़ भूमि थी. कॉलोनाइजर लाइसेंस लेने और सभी संबंधित विभागों से विधिवत अनुमति लेने के बाद उन्होंने वर्ष 2009 में कॉलोनी निर्माण कार्य आरंभ किया था. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता डॉ. रश्मि पाठक ने कोर्ट को बताया कि रेलवे द्वारा उक्त निजी भूमि के एक बड़े हिस्से पर बिना भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई किए जबलपुर-नागपुर ब्रॉडगेज रेलवे लाइन बिछाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया. रेलवे ने इसका कोई मुआवजा भी नहीं दिया.

याचिकाकर्ताओं ने इसके खिलाफ साल 2009 में ही सिविल न्यायालय की शरण लेकर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया था. उन्होंने कोर्ट को बताया कि स्थगन आदेश की अवहेलना करते हुए रेलवे द्वारा अन्य प्रशासनिक विभागों के सहयोग से बलपूर्वक उक्त जमीन पर कब्जा ले लिया गया और परियोजना पूरी कर ली गई. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में न्याय की गुहार लगाई है.  


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