जबलपुर: भीषण गर्मी में देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे पेयजल संकट को दूर करने में रेलवे भी योगदान दे रहा है. इस चुनौतीपूर्ण कार्य के लिए राजस्थान के कोटा वैगन रिपेयर वर्कशॉप ने सिर्फ 15 दिन में तेल ढोने वाले 100 टैंकर को पेयजल सप्लाई योग्य बना दिया.


महाराष्ट्र हो या तमिलनाडु या देश में जहां कहीं भी पानी की किल्लत होती है, तो वाटर टैंक से रेलवे के जरिए पेयजल की आपूर्ति की जाती है. बीटीपीएन टाईप के टैंक वैगन का इस्तेमाल आमतौर पर पेट्रोल, डीजल, काला तेल, वेज ऑयल के परिवहन में किया जाता है. रेलवे ने इन वैगनों को साफ-सुथरा बनाकर पानी के परिवहन में इस्तेमाल किया जाता है. इनको साफ-सुथरा करने के लिए कोटा स्थित वैगन रिपेयर वर्कशॉप में भेजा जाता है.


कब-कब मिले वैगन


राजस्थान में गर्मियों में पानी की किल्लत को देखते हुए रेलवे बोर्ड द्वारा कोटा मंडल में वैगन रिपेयर वर्कशॉप को 50-50 वैगन के दो रेक यानि 100 वाटर टैंकर तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी. केवल एक पखवाड़े में ही कोटा वैगन रिपेयर वर्कशॉप ने यह टास्क पूरा करके दिखा दिया. अब इन वाटर टैंक वैगनों का इस्तेमाल पेयजल परिवहन के लिए किया जाने लगा है.


कोटा कारखाने को कंवर्जन के लिए 50 वैगन का पहला रैक 6 अप्रैल 2022 को प्राप्त हुआ था. इसे 12 अप्रैल 2022 को ऑपरेशन के लिए सौंप दिया गया. वहीं 50 वैगन का एक दूसरा रैक भी वाटर टैंक में कन्वर्ट कर 20 अप्रैल 2022 को वाटर टैंकर रेल के रूप में पटरियों पर दौड़ा दिया गया.


जानें कैसे की गई क्लीनिंग


पश्चिम मध्य रेल के सीपीआरओ राहुल जयपुरियार के मुताबिक अमूमन रेलवे के टैंकर वेगन पेट्रोल, डीजल, काला तेल और वेज ऑयल एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का काम करते हैं, लेकिन इन वैगनों को बेहतर साफ-सफाई और हाइजीन मेंटेन करके पानी की सप्लाई के लिए वाटर टैंकर में कनवर्जन किया जा रहा है. रेलवे बोर्ड से यह टास्क बीटीपीएन वैगन वर्कशॉप कोटा को मिला है.सबसे पहले वैगन की स्टीम क्लिनिंग की गई जिसमें 8 घंटे के लिए बैरल में स्टीम एप्लाई की गई. इससे बैरल पर लगे स्लज उसकी तलहटी पर पहुंच गए. इसके पश्चात डिस्मेन्टल का काम शुरू किया गया. इसमें सेफ्टी वाल्व, मेन होल कवर और बीडी वाल्व डिस्चार्ज पाईप की ओपनिंग कर वेगन को सफाई के लिए टैंक शॉप भेजा गया. वहां बैरल के अन्दर और बाहर स्केपिंग के बाद सोडा एश और मोया आयल मिला हुआ पानी का प्रेशर लगाकर इसकी क्लीनिंग की गई. वैगन के डिस्मेन्टल हुए कंपोनेंट को भट्टी में तपाकर और वाटर जेट से साफ कर फिर वैगन में लगाया गया.


24 घंटे जांची पानी की क्वालिटी


सफाई के बाद पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए वैगन में 24 घंटे पानी स्टोर कर वाटर टेस्टिंग की गई. टेस्ट में उपयुक्त पाए जाने के बाद ही वैगन में अंडर गियर और पेंटिंग का कार्य पूर्ण कर रेक को कारखानें के बाहर निकाला गया.


यह भी पढ़ें


मध्य प्रदेश में सूरज दिखा रहा है रौद्र रूप, पचमढ़ी को छोड़ हर जगह पारा 40 के पार, इस शहर में रहा सबसे अधिक तापमान


MP News: टीकमगढ़ में 11 दिन बाद कब्र से निकाला गया मां-बच्चे का शव, पिता ने लगाया है यह आरोप