MP News: आस्था या अंधविश्वास? गाल में छेदा जाता है लोहे का त्रिशूल, देख आप भी रह जाएंगे हैरान
Navratri 2023 Tradition: रायसेन में भक्त 9 दिन तक भक्ति में लीन रहे. इस दौरान वो क्षण मन को दहलाने वाला था जब भक्त लोहे का बाना त्रिशूल अपने गाल और जीभ में छेदकर धारण करते नजर आए.
Raisen News: आपके पैर में अगर कांटा चुभ जाए या कील लग जाए तो उसका दर्द सहना आसान नहीं होता! अब जरा सोचिए जब किसी के गाल में लोहे का बड़ा त्रिशूल छेदकर चलाया जाए तो उसका क्या होगा? जी हां, ऐसा ही कुछ नज़ारा मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में देखने को मिला है, जहां नवरात्रि के समापन के बाद ज्वारे विसर्जन के दौरान ऐसी तश्वीरे देखने को मिली जिसे देख कर हर कोई दंग रह जाएगा.
मां की भक्ति में एक नहीं, बल्कि दर्जनों लोग गाल में त्रिशूल फंसाये मस्ती में झूमते हुए चल रहे हैं. इस प्राचीन अनोखी परंपरा को स्थानीय भाषा में 'बाना पहनना' कहा जाता है. दअरसल, 9 दिन तक माता की भक्ति के बाद आज जब माता की ज्वारे विसर्जन के लिए रायसेन जिले के उदयपुरा में सिर और ज्वारे ले कर लोग निकले तो उनके अलग अलग भक्ति भाव देखते ही बन रहे थे. इन्हीं में कुछ भक्त लोहे का दस फीट लंबा और 10-15 किलो का लोहे का त्रिशूल (वाना ) पहनकर माता के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते नजर आए. अब इसे आस्था कहे या अंधविश्वास यह सवाल लोगों के सामने है.
कोई दर्द या जख्म न होने का दावा
रायसेन जिले में भक्त 9 दिनों तक भक्ति में लीन थे और भक्त माता के ज्वारे विसर्जन करने भक्ति भाव से निकले. इस दौरान वो क्षण मन को दहलाने वाला था जब भक्त लोहे का बाना (त्रिशूल) अपने गाल और जीभ में छेदकर धारण करते नजर आए. इसे यह माता की शक्ति मानते हैं, जिस कारण इनके गाल में ना खून आता हैं और न ही कोई दर्द होता है. न हीं किसी प्रकार की दवा की आवश्यकता पड़ती है.
गाल में त्रिशूल लगाकर झूमते दिखते हैं भक्त
मात्र भावूत यानी धूनी लगाने से घाव भर जाता है और निशान मिट जाता है. रायसेन जिले में हर साल भक्त अलग अंदाज में भक्ति में डूब कर माता का विसर्जन करते हैं. पंडा और भक्तों की मानें तो यह मां की शक्ति की भक्ति का प्रताप है और यह कई पीढ़ियों से चला आ रहा है. भक्त वान पहने हुए नाचते भी हैं पर कोई दर्द नहीं होता.
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