Holi 2024: रंगों के त्योहार पर रायसेन में अनूठी परंपरा, बकरे को बांधकर लोगों को मारा जाता है कोड़ा
Raisen Holi Traditions: रायसेन के सिलवानी तहसील में होली पर सालों पुरानी अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है. इस मौके पर गांव के लोग अपनी मान्यताओं को लेकर दहकते अंगारों पर चलते हैं.
Raisen Holi 2024: मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में होली की धूम मची है. विविधताओं के इस देश मे होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं है. होली के मौके पर आस्था और परंपरा के अनोखे रंग देखने को मिलते हैं. प्रदेश के कई जिलों में होली के मौके पर सालों पुरानी परंपराओं का बखूबी पालन किया जाता है. होलिका दहन से रंग पंचमी तक रायसेन जिले में भी कई प्रकार की अनूठी परंपराओं के दर्शन होते हैं. यहां के स्थानीय लोग पूरे हर्षोल्लास के साथ आज भी इन परंपराओं को निभा रहे हैं.
होली के मौके पर रायसेन के बनगवां गांव की समृद्धि और समरसता के लिए ग्रामीण दहकते अंगारों पर चलते हैं, जबकि कुछ जगहों पर 30 फीट ऊंचे मचान पर एक बकरे को बांधकर घूमाते हैं. इस दौरान लोगों को कोडे़ मारने का भी प्रचनल है. हालांकि होली के जश्न में डूबे लोगों को कोड़े दर्द का एहसास तक नहीं होता है.
इसे आस्था कहे या अंधविश्वास, लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र में परंपराओं के नाम पर पुलिस प्रशासन के सामने होली के मौके पर जान जोखिम में डालते नजर आते हैं. इसी तरह जिले के सिलवानी तहसील के दो गांवों होली के दिन अंगारों पर चलने की परंपरा है.
ऊंचे मकान पर बांधा जाता है बकरा
रायसेन जिला मुख्यालय से 9 किमी दूर वनगवां गांव बसा हुआ है. इस गांव में होली के दूसरे दिन हलारिया गौत्र (कुर्मी) समाज के लोग अपने कुल देवता मेघनाथ बाबा की पूजा करते है. इस पूजा के दौरान यहां पर 30 फीट ऊंचे 2 खंभों पर मचान बनाया जाता है.
जिस पर एक बकरे को बांधकर घुमाते हैं फिर पूजा संपन्न होने के बाद बकरे को छोड़ दिया जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि पहले बकरे के स्थान पर इंसान को ही मचान पर बांधा जाता था. हालांकि समय के साथ परंपराओं कुछ तब्दीली भी हुई और इंसान की जगह बकरे का इस्तेमाल होने लगा.
लोगों को मारे जाते हैं कोड़े
ऊपर बकरे को घुमाते समय लोगों को नीचे कोड़े मारे जाते हैं. मान्यता है कि कुलदेवता के आशीर्वाद से लोगों को कोड़ों की मार का अहसास तक नहीं होता है. गांव लोगों ने बताया कि जब से यह गांव बसा है, तभी से यह परंपरा चली आ रही है.
होली के दूसरे दिन हलारिया गौत्र समाज के लोग कुलदेवता मेघनाथ बाबा की पूजा के लिए इकट्ठा होते हैं. इस दौरान बड़ी संख्या में समाज के छोटे बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया जाता है. इस तरह आज भी यह लोग अपनी परंपरा का निर्वहन करते चले आ रहे हैं, जिससे गांव में समृद्धि और समरसता का माहौल बना रहे.
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