Raisen News: रायसेन में ऐतिहासिक किले पर स्थित शिव मंदिर (सोमेश्वर धाम) का ताला खुलवाने के लिए प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अन्न छोड़ चुकीं हैं. अब उन्होंने मंदिर का ताला खुलवाने की जिम्मेदारी बीजेपी के नेताओं को दी है. उमा भारती बेगमगंज में शादी समारोह में शिरकत पहुंची थीं. समारोह में उन्होंने सिलवानी विधायक रामपाल सिंह से कहा है जल्द से जल्द मंदिर का ताला खुलवाएं और मुझे अन्न खिलाएं, क्योंकि दवाइयों की वजह से केवल फलाहार स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है.


उन्होंने खरगोन की घटना पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारी कार्रवाई से विरोधियों को मौका नहीं मिलना चाहिए. उमा भारती ने 11 अप्रैल को सोमेश्वर महादेव का ताला खोलने की कोशिश की थी, लेकिन प्रशासन ने ऐसा होने नहीं दिया. उस वक्त उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक मंदिर का ताला नहीं खुलता, तब तक अन्न नहीं खाएंगे. उसके बाद उन्होंने दरवाजे पर जल अर्पण किया और चली गईं. अब कई दिन बीत जाने के बाद भी मंदिर का ताला नहीं खुला है और उमा बिना अन्न के ही गुजारा कर रही हैं. 


हम माहौल खराब नहीं होने देंगे- उमा


बेगमगंज पहुंचीं उमा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की दोहरी नीति के कारण दोबारा ताला लग गया. हालांकि, ताला बहुत छोटा है और दरवाजा भी खुला हुआ है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि रायसेन का माहौल खराब नहीं है. जिस जगह किले पर नमाज पढ़ी जाती थी, वह मंदिर से काफी दूर है. उन्होंने कहा कि खरगोन की घटना के बाद तय किया है कि कोई भी ऐसी स्थिति नहीं बनाएंगे, जिससे हमारे विरोधियों को वातावरण खराब करने का मौका मिले. उमा भारती ने कहा कि ताला खुलवाने की जिम्मेदारी सांसद रमाकांत भार्गव, मंत्री प्रभुराम चौधरी और विधायक रामपाल सिंह को दी है. ये नेता केंद्रीय पुरातत्व विभाग से बात करें. ताला खोलने में  नियम का पालन किया जाएगा.


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'मंदिर का खुलवा कर मुझे अन्न खिलाएं'


उन्होंने सिलवानी विधायक रामपाल सिंह से कहा कि मंदिर का ताला खुलवा कर मुझे अन्न खिलाइए, अभी फलाहार तो कर रही हूं, लेकिन दवाई के कारण फलाहार स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. बता दें, रायसेन के किले पर स्थित सोमेश्वर शिव मंदिर का ताला साल में एक बार शिवरात्रि को खोला जाता है. शिव महापुराण कथा के दौरान रायसेन में पंडित प्रदीप मिश्रा के उठाए भगवान कैद मुक्त मुद्दे के बाद उमा भारती अभिषेक करने पहुंचीं थीं. इस दौरान उन्हें बाहर से ही जल चढ़ाना पड़ा. तभी से उन्होंने ताला नहीं खुलने तक अन्न का त्याग करने का फैसला ले लिया. 


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