Rajgarh news: मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में देशभक्ति का एक अनोखा नजारा देखने को मिला जब गांव के एक गरीब परिवार की बेटी भारतीय सेना में चयन होने के बाद फौज की ट्रेनिंग कर पहली बार फौजी की वर्दी में संध्या भिलाला अपने गांव पिपल्या रसोड़ा आई. फौजी बेटी जब गांव में पहुची तो ग्रामीणों ने उसका अनोखा स्वागत किया. लोगों ने फौजी बेटी की अगवानी में उसे घोड़े पर बैठाकर पूरे गांव मे जुलूस निकाला. गांव में हर घर के बाहर हार माला पहनाकर उसका भव्य स्वागत किया गया. गांव वालों का इतना प्रेम देखकर फौजी बेटी भी भावुक हो गई.


ट्रेनिंग खत्म कर लौटी थी गांव
राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ तहसील के ग्राम पिपल्या रसोड़ा गांव मे रहने वाले गरीब मजदूर देवचंद भिलाला की बेटी संध्या भिलाला का अप्रैल 2021 में सीमा सुरक्षा बल के लिये फौज में चयन हुआ था. संध्या अपने गांव से राजस्थान में आर्मी की ट्रेनिंग के लिए गई थी .  8 महीने बाद जब ट्रेंनिग खत्म कर गांव की बेटी संध्या फौजी की ड्रेस में अपने गांव लौटी तो इस गांव मे लोगों के दिलों में देश भक्ति का एक अनोखा नजारा देखने को मिला.


पूरे गांव में जूलूस निकाला
लोगो ने फौजी बेटी के गांव में पहली बार लौटने पर ढोल नगाड़ों के साथ उसे घोड़े पर बैठाकर पूरे गांव में जुलूस निकाला. इस दौरान गांव के घर के बाहर लोग हार माला लेकर खड़े थे जिनके द्वारा जगह जगह संध्या का स्वागत किया गया और लोगों ने उसे आशीर्वाद दिया. गांव वालों के दिलों में देशभक्ति का आपार प्रेम देख संध्या भी भावुक हो गई. 


संध्या के हौसले की कहानी
एक गरीब परिवार की बेटी संध्या ने ये साबित कर दिया कि दुख की चट्टान हौसलों के आगे घुटने टेक देती है.  पिपल्या रसोड़ा गांव मे रहने वाले देवचंद भिलाला मजदूरी करते हैं. उनकी तीन बेटियां व दो बेटे हैं. जिसमें संध्या तीसरे नम्बर की है. संध्या का सीमा सुरक्षा बल में चयन हुआ है. उसकी उम्र 27 साल है. संध्या अब नेपाल भूटान की बॉर्डर पर सुरक्षा करेंगीं. संध्या ने पढाई में MA फाइनल किया है. गरीब परिवार की वजह से संध्या ने अपनी पढ़ाई के लिए पहले दूसरों के खेतों में मजदूरी का काम किया फिर 12वीं पास करने के बाद एक पाइवेट स्कूल में जॉब कर अपने आगे की पढ़ाई जारी रखी.


कभी हार नहीं मानी
उसने एमए फाइनल कर लिया. गांव में पहले से ही दो लोग फौज में हैं. वही 12वीं पास करने के बाद संध्या के मन में फौज में जाने का जूनून था. जिसको लेकर अपने काम के साथ साथ उसने रात रात भर पढाई की. सुबह 5 बजे उठकर दौड़ चालू कर देती थी. दो बार असफल होने के बाद भी हार नहीं मानी और लगातार 7 साल प्रयास करने के बाद संध्या का चयन सीमा सुरक्षा बल के लिए हो गया.


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