Rakshabandhan 2023: इंदौर की सेंट्रल जेल में बंद महिला कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से एक नई पहल जेल परिसर में ही शुरू की गई है, जिसके तहत रक्षाबंधन के मद्देनज़र 40 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उनसे राखी बनाने का कार्य करवाया जा रहा है. इन तैयार राखियों को जेल में बनी अन्य वस्तुओं की तरह ही बाजार में बेचा जाएगा. जो मुनाफा होगा वो कैदियों को वापस दे दिया जाएगा.


सेंट्रल जेल अधीक्षक डॉक्टर अलका सोनकर ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि यहां करीब 40 महिला कैदी राखी बनाने का काम कर रही हैं. महिला कैदियों को इसके लिए विशेष प्रशिक्षण व कच्चा सामान उपलब्ध करवाया गया है. सोनकर का मानना है कि जेल से छूटने के बाद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का एक सफल प्रयास होगा. 


जेल अधीक्षक सोनकर ने कहा कि इससे पहले भी महिलाओं को समय समय पर मिठाई और अन्य उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे जेल से छूटने के बाद दोबारा अपराध करने की बजाय एक अच्छे नागरिक की तरह अपना जीवन जी सकें. जेल अधीक्षक इंदौर अलका सोनकर ने कहा कि केंद्रीय जेल में बने उत्पादों को जेल के बाहर दुकान लगाकर बेचा जाता है. इसी क्रम में राखियां भी वहाँ काउंटर लगाकर बेची जाएंगी. मीडिया से चर्चा में उन्होनें कहा कि राखी का त्यौहार भाई बहन के अटूट प्रेम का उत्सव है. 


नाम मात्र के शुल्क पर मिलेगी राखी
यहां राखियों को बनाने के लिए नाम मात्र के शुल्क पर राखियां दी जाएंगी. जिन्हें अलग अलग डिजाइन में तैयार किया गया है. जेल अधीक्षक बताती हैं कि उन्होनें देखा है कि महिला कैदियों में राखी के निर्माण को लेकर उत्साह है और राखी तैयार करने के लिए महिलाएं बड़ी संख्या में रूचिकर नजर आईं. उन्होनें कहा कि महिलाओं को राखी बनाना अच्छा लग रहा है इससे उन्हें चार पैसे भी मिलेंगे जिससे उन्हें जेल से बाहर जाकर जीवन व्यतीत करने में आसानी होगी.  


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