Indore News: रक्षाबंधन (Rakshabandhan) पर बहनों के द्वारा अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र के रूप में बांधी जाने वाली राखी का व्यापार इंदौर (Indore) शहर में करोड़ों रुपये का है. एक अनुमान के मुताबिक, यह व्यापार लगभग 12 से 13 करोड़ रुपये का होता है. ग्राहकों की मांग पर विभिन्न तरह की राखियां थोक बाजार के व्यापारी दूसरे राज्यों से भी मंगाते हैं और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के साथ ही देश के अन्य शहरों में भी यहां से राखियां बिक्री के लिए पहुंचाई जाती है.
रक्षाबंधन पर बांधी जानी वाली रेशम की डोर यानि राखी को लेकर इंदौर के बाजार में अभी से चहल-पहल दिखाई दे रही है. इस बार यह रेशम की डोर गुजरात-जयपुर, पश्चिम बंगाल-तेलंगाना सहित अन्य राज्यों को भी एक सूत्र में पिरोती नजर आ रही है. दरअसल, शहर के बाजारों में दूसरे राज्यों से भी राखियां बिकने के लिए आई हैं, तो यहां से महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के शहरों में भी राखियां पहुंचाई जा रही हैं.
बदलते वक़्त के साथ बदली मांग
राखी के बाजार में समय के साथ वैराइटी पैटर्न और डिजाइन की डिमांड बदलती जा रही है. शुभ-लाभ और स्वस्तिक से लेकर बच्चों के लिए कार्टून वाली राखियों की मांग बाजार में है. खास बात है कि नई एकीकृत कर प्रणाली जीएसटी लागू होने के बाद भी राखी को टैक्स फ्री श्रेणी में ही रखा गया है. राजस्थान के जयपुर से चूड़ा राखी लूंबा, जरी राखी, तो पश्चिम बंगाल के कोलकाता से जरदोसी, रेशम और चंदन की राखी आ रही है.
वहीं तेलंगाना के हैदराबाद से मिनी जरदोसी (बारीक जरदोसी) के काम वाली राखी, तो गुजरात के सूरत-राजकोट से डायमंड(नग), मेटल और चांदी राखी बाजार में आई है. ग्राहकों को सबसे ज्यादा पसंद आने वाली राखियों में रेशम और डायमंड वाली मेटल की राखियां शामिल हैं.