Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं. ऐसे में राम मंदिर आंदोलन में शामिल रहीं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता उमा (Uma Bharti) भारती इन दिनों अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास और रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर बेहद उत्साहित हैं. लगातार कई मीडिया चैनलों को इंटरव्यू देने के बाद अब उमा भारती ने अपने अधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर ट्वीट कर बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के बाद लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) से जुड़ी दो प्रमुख घटनाओं का जिक्र किया है. 


आगरा जेल की घटना का किया जिक्र
उमा भारती ने ट्वीट कर कहा, 'एक सप्ताह पहले मैंने एक चैनल को साक्षात्कार दिया और फिर निरंतर साक्षात्कार चलते रहे. जब मैंने अपने ही विभिन्न उत्तरों पर आत्म चिंतन किया तो मुझे लगा कि दो बातों में यद्यपि है नहीं किंतु विरोधाभास लग सकता है. दोनों प्रसंग जिनका मैंने उल्लेख किया, दोनों में आडवाणी जी की महानता है.' गिरफ्तारी के बाद आगरा की जेल में 8 दिसंबर की घटना का जिक्र करते हुए उमा भारती ने लिखा कि '6 दिसंबर की घटना के तुरंत बाद जब 8 दिसंबर को आडवाणी जी और पांच अन्य नेताओं की गिरफ्तारी हुई.'


'मैं, अशोक सिंघल जी, मुरली मनोहर जोशी जी, विष्णुहरि डालमिया जी, विनय कटियार जी थे. हम छह लोग गिरफ्तारी के बाद आगरा की जेल में ले जाए गए, वहां पर सुबह आडवाणी जी 6 दिसंबर की घटना पर एक विज्ञप्ति बनाते हुए रिग्रेट (खेद) लिख रहे थे जिसको मैंने देखा और आपत्ति के बाद आडवाणी जी ने उस कागज को भेजा नहीं और अपनी जेब में डाल लिया.'






जेल अधिकारियों  के अनरोध का किया जिक्र
राम मंदिर आंदोलन के दौरान लालकृष्ण आडवाणी से जुड़ी दूसरी घटना का जिक्र करते हुए उमा भारती ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'उसी के कुछ दिनों बाद ही जब हम उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले की जिसको जेल का दर्जा प्राप्त था, माता टीला रेस्ट हाउस में एक माह के लिए रखे गए तो वहां पर प्रतिदिन सुबह 8 बजे और शाम को 4 बजे लॉन में आडवाणी जी टहलते थे. जिस पर जेल अधिकारियों ने मेरे द्वारा आडवाणी जी तक अपना अनुरोध भेजा कि इस स्थान पर पूर्ण सुरक्षा की व्यवस्था है, लेकिन बहुत दूर पेड़ से टेलिस्कोप राइफल से आडवाणी जी का जीवन संकट में पड़ सकता है.'


'इसीलिए आडवाणी जी शाम को अंधेरे के बाद टहला करें. मैंने जब यह बात आडवाणी जी तक पहुंचाई तो आडवाणी जी का उत्तर अद्वितीय था. उन्होंने मुझसे कहा कि यदि मैं यहां शहीद हो गया तो इस राष्ट्र का राम मंदिर का संकल्प शीघ्र पूरा हो जाएगा. यह बात उन्होंने मुझसे अकेले में कही जो एक पिता और एक नेता अपनी पुत्री और अपने अनुयायी से कह रहा था.'


'लालकृष्ण आडवाणी को शायद इसी का खेद था'
उमा भारती ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि 'यह दोनों बातें विरोध में लग सकती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. जब आडवाणी जी सोमनाथ से रथ यात्रा लेकर चले तो उनका आह्वान था कि इस विवादास्पद ढांचे को नई टेक्नोलॉजी के द्वारा गिराए बगैर कहीं अन्यत्र शिफ्ट कर दिया जाए. इसके विपरीत जो घटना हुई कि उनकी आंखों के सामने कारसेवकों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए ढांचा ढहा दिया. आडवाणी जी को शायद इसी का खेद था. वह रामलला जहां विराजमान हैं, वहीं मंदिर चाहते थे.'


'अयोध्या में जो भीड़ मौजूद थी वह रामभक्त, आस्थावान कारसेवक तो थे, लेकिन उनमें से बहुत सारे लोग हमारे अनुशासित कार्यकर्ता नहीं थे. वह तो किसी भी कीमत पर उस ढांचे को गिराने के लिए आतुर थे और ढांचा ढह जाने के कारण ही तो पुरातत्व विभाग खुदाई कर सका, मंदिर होने के सबूत मिले, माननीय कोर्ट ने स्वीकार किया, शिलान्यास हुआ और अब 6 दिसंबर की घटना राम मंदिर का मूल कारण तो बनी ही, एक सबक भी बनी कि जन भावनाएं रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित नहीं होती, यह सबके लिए एक सबक बन गया.'


'मैं अब और इंटरव्यू नहीं देना चाहती'
आगे अपनी पोस्ट में स्पष्टीकरण देते हुए उमा भारती ने कहा, 'मैंने यह इसलिए लिखा कि मैं अब और साक्षात्कार नहीं देना चाहती हूं. मैं तो 22 जनवरी को मेरे देश के, मेरे प्रधानमंत्री को रामलला के यजमान के रूप में रामलला (यानी कि राष्ट्रीय स्वाभिमान, पहचान और आत्मसम्मान) की प्राण प्रतिष्ठा को अपनी आंखों से देखूं. इससे अच्छा दिन मेरी जिंदगी में और हो ही नहीं सकता.'



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