Ramadan 2023: रायसेन में अब भी निभाई जाती है नवाबों की परंपरा, तोप की आवाज से शुरू होते हैं सेहरी और इफ्तार
Ramadan 2023 Unique Tradition: तोप चलाने के लिए बाकायदा जिला प्रशासन से अनुमति ली जाती है. रमजान का महीना बीतने के बाद इस तोप को फिर जिला प्रशासन को वापस कर दिया जाता है. यह परंपरा 200 साल पुरानी है.
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Ramadan Unique Tradition: मध्य प्रदेश के रायसेन में एक अनोखी परंपरा है. यहां तोप चलाकर सेहरी और इफ्तार की सूचना 25 गांव तक पहुंचाई जाती है. 200 साल पुरानी इस परंपरा को नवाबों ने शुरू किया था, जो आज भी बदस्तूर जारी है. इसके लिए जिला प्रशासन से विधिवत अनुमति तक ली जाती है. यह परंपरा लगातार एक महीने तक निभाई जाती है.
जिला प्रशासन से ले जाती अनुमति
मध्य प्रदेश का रायसेन जिला कभी नवाबों की रियासत हुआ करता था, उस समय रमजान के पाक महीने में लोगों को सेहरी और इफ्तार की सूचना देने के लिए अनाउंसमेंट या अन्य कोई साधन नहीं था. इसी के चलते नवाबों ने फैसला लिया था कि रायसेन की प्राचीर से तोप की आवाज के जरिए सेहरी और इफ्तार की सूचना लोगों तक दी जाएगी. उनके इस परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है. रायसेन के रहने वाले पप्पू खान बताते हैं कि यह परंपरा 200 साल से ज्यादा पुरानी है.
इसके लिए बकायदा जिला प्रशासन से अनुमति ली जाती है. इसके तहत 1 महीने के लिए सुबह और शाम मस्जिद की मीनार से लाल बल्ब जलाकर सेहरी और इफ्तार का सिग्नल दिया जाता है. इस इशारे के बाद प्राचीर से तोप चलाकर लोगों तक सूचना पहुंचा दी जाती है. सुबह जब सेहरी का वक्त हो जाता है उस समय तोप चला दी जाती है. इसके बाद शाम को इफ्तार के दौरान भी तोप की आवाज से लोग इफ्तारी करते हैं.
रमजान के बाद होती है तोप की सफाई
रमजान का महीना बीतने के बाद तोप की सफाई की जाती है और इसे फिर अगले साल के लिए तैयार करते हुए जिला प्रशासन को हैंड ओवर कर दिया जाता है. बताया जाता है कि तोप की आवाज 25 से 30 किलोमीटर दूर तक जाती है, जिसकी वजह से लोगों को सेहरी और इफ्तार की सूचना मिल जाती है.
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