MP रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव: ग्वालियर में 28 अगस्त को जुटेंगे देश-विदेश के निवेशक
Gwalior News: ग्वालियर विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में उद्योगपतियों को निवेश के अवसरों के साथ ग्वालियर के हैंडीक्राफ्ट,खनिज संसाधनों की खूबियों से अवगत कराया जाएगा.
Gwalior Regional Industry Conclave 2024: सांस्कृतिक, शैक्षिक, खेल एवं कला के क्षेत्रों में कई कीर्तिमानों को सहेजे हुए ऐतिहासिक नगरी ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया विश्वविद्यालय में कल 28 अगस्त को रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव होगी. इसमें देश-विदेश के उद्योगपति इस क्षेत्र की कई विशेषताओं के साथ ही औद्योगिक निवेश के अवसरों को जानेंगे. कार्यक्रम को लेकर ग्वालियर जिला प्रशासन पूरी तरह से सजग है. पुलिस ने आज से अपना मोर्चा संभाल लिया है. चौक चौराहों पर भारी पुलिस बल तैनात हैं.
बता दें कि हस्तशिल्प उत्पाद में ग्वालियर के कारपेट विशेष स्थान रखते हैं. ग्वालियर का कारपेट 175 वां जीआई टैग मिला है, जिससे इसकी पहचान देश ही नहीं विदेशों में भी बनी है. इस वजह से कालीन इंडस्ट्री का तेजी से विकास हुआ है. इससे बड़ी संख्या में विदेशों में निर्यात किया जा रहा है. ग्वालियर में प्राकृतिक सम्पदाएं भी प्रचुर मात्रा में है, जिसमें सेंड स्टोन एक है. यहां के सेंड स्टोन की विदेशों में बहुत मांग है.
दुनियाभर के 100 देशों में भेजा जाता है यह पत्थर
ग्वालियर स्थित स्टोन पार्क में लगभग 50 इकाइयों के द्वारा हर साल तकरीबन 68 हजार टन पत्थर दुनियाभर के 100 देशों में भेजा जाता है. लगभग हर साल 68 हजार टन सेंड स्टोन दुनिया में सौ से भी अधिक देशों में निर्यात किया जाता है. सेंड स्टोन का लगभग 800 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार है.
इस पत्थर में बेहद कम होती है फिसलन
यह पत्थर न सिर्फ देखने में बेहद आकर्षक है, बल्कि यह विशेष भी है कि यह पत्थर सर्दियों में न तो अधिक ठंडा होता है और न ही गर्मियों में अधिक गर्म. दुनिया में बहुत ही कम स्थान हैं जहां इस तरह का पत्थर पाया जाता है. सबसे बड़ी बात इस पत्थर में फिसलन बेहद कम होती है, जिसके चलते इसका प्रयोग अधिकांश सीढयों व विदेशों में बन रहे स्विमिंग पूल में किया जाता है. वर्तमान में लोग इसका प्रयोग अपने फार्म हाउस या घर के गार्डन में बने वाकिंग एरिया के लिए भी कर रहे हैं. इसके अलावा छत के तापमान को सामान्य रखने के लिए भी इस पत्थर को लगाया जा रहा है.
यूनेस्को की सिटी ऑफ म्यूजिक में शामिल है ग्वालियर
ग्वालियर संगीत के क्षेत्र में भी विशेष स्थान रखता है. यहां पर तानसेन और बैजू बावरा सहित कई मशहूर गायक हुए हैं. ग्वालियर का तानसेन समारोह विश्व प्रसिद्ध है. ग्वालियर घराना, ध्रुपद यहां के विशेष शास्त्रीय गायन हैं. यूनेस्को द्वारा ग्वालियर को सिटी ऑफ म्यूजिक की मान्यता दी गई है, जिससे संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर ने विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है.
ग्वालियर में विश्व स्तरीय स्टेडियम एवं खेल संस्थान हैं. यहां विश्व स्तरीय मैच में कई विश्वस्तरीय कीर्तिमान बने हैं. कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम ग्वालियर में एक क्रिकेट मैदान है. इसमें एक बार में 45 हजार दर्शक बैठ सकते हैं. इस मैदान में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच ऐतिहासिक एक दिवसीय मैच खेला गया था, जिसमें सचिन तेंदुलकर ने एकदिवसीय क्रिकेट में पहला दोहरा शतक बनाया था.
शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय
एशिया का सबसे बड़ा शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय ग्वालियर में लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना केन्द्र सरकार के शिक्षा एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा अगस्त 1957 में स्वतंत्रता संग्राम के शताब्दी वर्ष पर लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय के रूप में की गई थी. यह एशिया का सबसे बड़ा शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय है.
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