Fossils of Dinosaur in MP: डायनासोर के मल में मिला चावल का अवशेष, चीन के दावे का निकल सकता है दम
MP News: मध्य प्रदेश में नर्मदा किनारे बाग नामक क्षेत्र डायनासोर की बाहुल्यता के लिए जाना जाता है. एक शोध के दौरान यह जानकारी हासिल हुई है कि साढ़े छह करोड़ साल पहले भारत में जंगली चावल पाया जाता था.
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भारत की गिनती दुनिया के बड़े चावल उत्पादक देशों में होती है. लेकिन इस बात को लेकर हमेशा से वैज्ञानिकों के बीच सवाल खड़े होते हैं कि भारत में चावल की पैदावार कितनी पुरानी है? शोध के दौरान डायनासोर के कोप्रोलाइट (डायनासोर के मल के जिवाश्म) से पता चल रहा है कि भारत में 6.5 करोड़ साल पहले भी जंगली चावल उपलब्ध थे.
कहां से मिला है डायनासोर का मल
मध्य प्रदेश के नर्मदा किनारे बाग नामक क्षेत्र डायनासोर की बाहुल्यता के लिए जाना जाता है.शोध के दौरान यह जानकारी हासिल हुई है कि 65 मिलीयन साल पहले भारत में जंगली चावल थे.वर्तमान में जो चावल उपयोग में आ रहे हैं,वह केवल 15 हजार साल पुराने हैं.चावल के इतिहास के बारे में डायनासोर के अपाच्य भोजन से पता चला है.एक्सपर्ट विशाल वर्मा के मुताबिक मध्य प्रदेश का बाग ऐसे स्थान में शुमार हैं, जहां पर डायनासोर से जुड़े कई तथ्यों का पता चलता है.इस क्षेत्र में शोध करने वाले कई बार बाग की सैर कर चुके हैं.बताया जाता है कि पिछले महीने दिल्ली और लखनऊ के जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआई) से जुड़े अधिकारियों ने भी भ्रमण किया था.
अब पता चलेगा चावल का इतिहास
डायनासोर का मल अर्थात कोप्रोलाइट के शोध के दौरान कई रहस्यों से पर्दा उठ रहा है.चीन अभी तक दावा करता आया है कि विश्व का प्रथम उत्पादक देश है लेकिन चावल के रहस्य पर कोपरोलाइट का शोध पर्दा उठा रहा है.एक्सपर्ट विशाल वर्मा के मुताबिक कोप्रोलाइट का मिलना भी आसान बात नहीं है.कोपरोलाईट से वनस्पति सहित अन्य विषय के बारे में भी जानकारियां सामने आ रही हैं.
मंडला के पास मिले जीवाश्म
मध्य प्रदेश के मंडला के पास यूकेलिप्टस,रुद्राक्ष, केले, जामुन आदि के फॉसिल्स (जीवाश्म) मिले हैं.जीवाश्म के शोध के बाद कई प्रकार के रहस्यों का पता चल रहा है.शोध के दौरान यह भी जानकारी सामने आई है कि फ्लोरिंग प्लांट का युग काफी बाद में आया है.पहले अलग प्रकार के जंगल हुआ करते थे.
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