वकील को धमकी देते हुए SDM बोले- 'जो उखाड़ना है, उखाड़ लेना', आखिर क्या है पूरा विवाद जानिए?
MP News: रीवा में एसडीएम और वकील के बीच विवाद बढ़ा, एसडीएम ने वकील को धमकी दी. वकीलों ने संभागायुक्त और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की है.
Rewa News: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में एसडीएम और वकील के बीच सिविल केस के एक मामले को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि एसडीएम ने एडवोकेट को यह धमकी दे डाली, "यह मेरा न्यायालय है, आपको जो उखाड़ना है वह उखाड़ लेना". इस पूरे विवाद को लेकर अभिभाषकों ने संभाग आयुक्त और कलेक्टर एसडीएम के खिलाफ ज्ञापन भी सौंपा है. यह पूरा घटनाक्रम वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
बताया जा रहा है कि पवन कुमार और जितेंद्र कुमार के बीच जमीन विवाद चल रहा है, जिसकी पेशी अनुविभागीय अधिकारी त्योंथर के यहां चल रही है. पेशी के दौरान जब वकील राजेंद्र गौतम दोपहर 2 बजे एसडीएम कार्यालय में पहुंचे तो विवाद शुरू हो गया.
निर्धारित समय से लेट आने पर हुआ विवाद
दरअसल, एसडीएम संजय कुमार जैन का कहना था कि वे दोपहर 12:00 बजे से बैठे हुए हैं जबकि वकील का कहना था कि उनकी पेशी का समय 2.00 बजे निर्धारित किया गया था, इसलिए वे 2.00 बजे पहुंचे. इसी बात को लेकर विवाद धीरे-धीरे बढ़ता चला गया.
इस दौरान एसडीएम की ओर से वीडियो भी बनाया गया, जबकि एसडीएम कोर्ट में मौजूद एक अन्य व्यक्ति ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो बना लिया. यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस विवाद के दौरान अन्य एडवोकेट भी राजेंद्र गौतम के समर्थन में एसडीएम कोर्ट में आ गए, तब हंगामा और भी बढ़ गया.
प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत
इस पूरे विवाद को लेकर वकीलों ने त्योंथर एसडीएम संजय कुमार जैन की शिकायत संभाग आयुक्त और कलेक्टर से की है. आरोप है कि एसडीएम वकीलों पर दबाव बनाने के लिए अभद्र भाषा का भी उपयोग कर देते हैं. एसडीएम के खिलाफ वकीलों ने कार्रवाई की मांग की है.
दूसरी तरफ सीएम का कहना है कि वकील गौतम ने कोर्ट में धमकी वाले लहजे में ऊंची आवाज में बात कर विवाद की शुरुआत की थी.
तारीख बढ़ाने पर शुरू हुआ विवाद
एसडीएम और वकील के बीच विवाद की शुरुआत उसे समय हो गई. जब एसडीएम ने वकील को समय पर कोर्ट में मौजूद नहीं होने पर तारीख बढ़ा दी. दूसरी तरफ एडवोकेट राजेंद्र गौतम का कहना था कि उन्हें 2 बजे का वक्त दिया गया था, इसलिए 2 बजे कोर्ट में पहुंचे मगर एसडीएम पहले से ही तारीख आगे बढ़ा दी. एडवोकेट का कहना है कि न्याय में देरी भी अन्याय की श्रेणी में आता है इसलिए बार-बार तारीख बढ़ने से उनके क्लाइंट को परेशानी उठाना पड़ रही थी.
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