Jyotiraditya Scindia- Shivraj Singh Chouhan Faction: मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हो गया है. पीएम मोदी की नई कैबिनेट में सभी मंत्रियों ने पदभार संभाल लिया है और काम में जुट गए हैं. पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश के लिहाज से दो बड़े चेहरे नजर आए. एक चेहरा बिल्कुल नया है जिन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. ये हैं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान.


शिवराज सिंह चौहान का नाम देश के ज्यादातर लोगों की जुबान पर चढ़ा है क्योंकि वह पिछले 18 साल से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद दूसरा नाम है ज्योतिरादित्य सिंधिया का. शिवराज और सिंधिया दोनों को पावरफुल मंत्रालय दे दिए गए हैं. 


मध्य प्रदेश में गुटबाजी के आसार
सांसद शिवराज सिंह चौहान के पास कृषि मंत्रालय है और उन्हें देश की कृषि और किसान की आय को आगे बढ़ाने का जिम्मा सौंपा गया है. केंद्र में इन नेताओं का कद बढ़ाने के बाद मध्य प्रदेश में गुटबाजी के आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि इन दोनों के ऐसे तमाम समर्थक हैं जो सरकार और संगठन दोनों में शामिल हैं.


इधर मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके समर्थकों का गुट अलग बन चुका है. मध्य प्रदेश की राजनीति को जमीनी स्तर से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार हरीश वर्मा बताते हैं कि जब मुख्यमंत्री पद के लिए शिवराज सिंह चौहान का नाम नहीं लिया गया, तो ये चर्चा होने लगी कि उनके लिए केंद्र में भूमिका तय की गई है. 


सीएम पद से हटने के बाद मायूस थे शिवराज सिंह चौहान?
इसके अलावा, ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना की सीट से चुनाव लड़वाने का अर्थ था कि उन्हें पीएम मोदी फिर से केंद्र में देखना चाहते हैं. इन दोनों बड़े नेताओं के दिल्ली जाने के बाद और एक बड़े मंत्रालय मिलने के बाद इनकी पॉलिटिकल पावर निश्चित ही बढ़ी है. 


वहीं, प्रदेश में लगातार 18 साल सीएम की कुर्सी संभालने वाले शिवराज को कृषि और सिंधिया को दूर संचालन मंत्रालय दिया गया है. आपको बता दें कि जब शिवराज को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था तो वह मायूस हो गए थे लेकिन कुछ समय के बाद उनका चेहरा पहले की तरह खिल गया.


मध्य प्रदेश में क्यों हो रही गुटबाजी की चर्चा?
गुटबाजी की बात इसलिए भी उजागर हो रही है क्योंकि बीते दिनों केंद्र में शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर इंदौर में आतिशबाजी की गई थी. शिवराज सिंह चौहान के कट्टर समर्थक माने जाने वाले देपालपुर के विधायक मनोज पटेल ने ये आतिशबाजी की थी. मनोज पटेल शिवराज सिंह चौहान के कट्टर समर्थक हैं और उनके साए में ही राजनीति करते आए हैं.


मनोज पटेल का टिकट शिवराज सिंह चौहान ने ही फाइनल करवाया था. इसलिए मनोज को शिवराज गुट का माना जाता है. लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि मनोज पटेल ने उस दिन तकरीबन 1.5 लाख रुपये के पटाखे भारतीय जनता पार्टी कार्यालय पर जला दिए.


इंदौर में गोलू शुक्ला, मालिनी गोड़, महेंद्र हडिया, मधु वर्मा जैसे विधायक शिवराज खेमे से ही माने जाते हैं. इसके अलावा, सिंधिया समर्थकों की बात करें तो इंदौर में कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट सिंधिया समर्थक हैं और मध्य प्रदेश में ताकतवर नेता हैं. वही, इंदौर नगर निगम में कुछ पार्षद और बीजेपी में कुछ पदाधिकारी भी सिंधिया समर्थक नजर आते हैं. 


सीएम मोहन यादव समर्थकों का भी बन रहा गुट
इन सब से अलग मध्य प्रदेश में एक नया गुट भी बनता नजर आ रहा है जो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का है. पत्रकार बताते हैं कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के समर्थकों की संख्या लगातार बढ़ रही है और अब मध्य प्रदेश में शिवराज, सिंधिया और मोहन यादव के अलग-अलग गुट बनना शुरू हो चुका है. मध्य प्रदेश में अब मुख्यतः तीन प्रकार के नेताओं के गुट नजर आने वाले हैं जिनमें उपरोक्त नेताओं के नाम शामिल है.


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